नई दिल्ली । बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर सामने आया है। मोतिहारी जिले की सुगौली विधानसभा सीट से तीन बार विधायक और राज्य सरकार में दो बार मंत्री रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामचंद्र सहनी ने पार्टी छोड़कर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया है।
यह घटनाक्रम ना सिर्फ पूर्वी चंपारण की राजनीतिक तस्वीर बदल सकता है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बड़ा झटका भी माना जा रहा है।
प्रशांत किशोर की मौजूदगी में हुई एंट्री
पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रशांत किशोर की मौजूदगी में रामचंद्र सहनी ने जन सुराज पार्टी की औपचारिक सदस्यता ली। पार्टी ने इसे पूर्वी बिहार में अपनी राजनीतिक मजबूती का प्रतीक बताया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सहनी के अनुभव और सामाजिक पकड़ का सीधा असर आगामी चुनावी रणनीति पर पड़ेगा, खासकर नेपाल सीमा से सटे इलाकों में जहां सहनी की पकड़ काफी मजबूत है।
तीन साल से संपर्क में थे सहनी
सहनी ने जन सुराज में शामिल होने के बाद सुगौली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “मैं पिछले तीन वर्षों से प्रशांत किशोर जी के संपर्क में था। उनकी सोच, कार्यशैली और बिहार को बेहतर बनाने का विजन मेरे दिल को छू गया। मुझे पूरा विश्वास है कि जन सुराज बिहार में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।”
उन्होंने कहा कि जन सुराज भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, पारदर्शी प्रशासन और विकासोन्मुखी एजेंडा के साथ नई राजनीति की शुरुआत कर रही है।
तीन बार विधायक, दो बार मंत्री
रामचंद्र सहनी ने 2005, 2010 और 2015 में बीजेपी के टिकट पर सुगौली से चुनाव जीते और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे। उन्हें सुगौली और आसपास के इलाकों में जनप्रिय और ज़मीनी नेता के रूप में जाना जाता है। उनकी पकड़ खासकर पिछड़े वर्गों और सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत मानी जाती है।
सुगौली से मिल सकता है टिकट
पार्टी सूत्रों के अनुसार, रामचंद्र सहनी को जन सुराज पार्टी सुगौली से उम्मीदवार बना सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह सीट 2025 विधानसभा चुनाव में हाई-प्रोफाइल और रोचक मुकाबले का केंद्र बन सकती है।
BJP को झटका, जन सुराज को संजीवनी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सहनी के आने से प्रशांत किशोर की पार्टी को पूर्वी बिहार में जमीन मिल सकती है, जहां अब तक जन सुराज की सक्रियता सीमित रही है। वहीं बीजेपी को अपने पुराने और अनुभवी नेता को खोने से रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
रणनीतिकार से राजनेता बनते प्रशांत किशोर
यह घटनाक्रम एक और संकेत देता है कि प्रशांत किशोर अब सिर्फ राजनीतिक रणनीतिकार नहीं, बल्कि एक प्रभावी राजनीतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर चुके हैं। उनके साथ जुड़ते अनुभवी नेताओं की यह श्रृंखला आने वाले चुनावों में बिहार की सियासी दिशा बदल सकती है।
