नई दिल्ली । इंटरनेशनल क्रिकेट(International Cricket) के अलावा तमाम प्रोफेशनल टूर्नामेंट्स(Professional tournaments) में बारिश से बाधित(disrupted by rain) मैच में नतीजे तक पहुंचने के लिए डकवर्थ-लुईस-स्टर्न मेथड (DLS Method) का इस्तेमाल होता है। अकसर इस मेथड पर सवाल उठते हैं। इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्थ में खेले गए पहले वनडे मैच में भी यही मेथड बारिश से बाधित मैच में लागू हुआ, जिसमें भारतीय टीम को नुकसान हुआ। पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने इस पद्धति पर सवाल उठाए हैं और इससे अन्याय करार दिया है।
पर्थ वनडे मैच में भारत की पारी में चार बार विलंब आया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की पारी एक बार भी नहीं रुकी। मैच जो 50-50 ओवर का होना था, उसे 35-35 ओवर का किया गया। फिर इसे घटाकर 32-32 ओवर का किया गया और आखिर में मैच 26-26 ओवर का हुआ। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 9 विकेट खोकर 136 रन बनाए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 131 रनों का लक्ष्य ही मिला, क्योंकि डीएलएस मेथड यहां लागू हुआ। आकाश चोपड़ा ने इस पर कहा है कि ये न्यायपूर्ण नहीं है।
आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, “भारत ने 136 रन बनाए थे, लेकिन लक्ष्य 131 रह गया। ये गलत है। ये अन्याय है। चलिए मैं समझाता हूं क्यों?” आकाश ने आगे बताया, “सबसे पहले, जब मैच शुरू हुआ, तो भारत के लिए यह 50 ओवर का गेम था, लेकिन धीरे-धीरे ओवर कम होते गए, जिससे भारत के लिए इसे अडैप्ट करना मुश्किल हो गया। डीएलएस में होता यह है कि अगर आपके पास कम विकेट हैं, तो आप कमज़ोर स्थिति में आ जाते हैं। भारत नौ विकेट गंवा चुका था। यह कहने का एक तरीका है, ‘आपने 136 रन अतिरिक्त बना दिए हैं और अगर आप पहले की तरह खेलते तो आप इतने भी नहीं बना पाते।’ अगर मैच 26-26 ओवर का होता तो रन ज्यादा बनते। इसलिए यह गलत है।”
चोपड़ा ने सुझाव दिया कि डीएलएस मेथड में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों को फायदा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “उन्हें भारत को रिवॉर्ड देना चाहिए था। अगर भारत 136 रन बनाता, तो लक्ष्य लगभग 145 या 147 होना चाहिए था, ऐसा ही कुछ। डीएलएस पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों के खिलाफ जा रहा है। मेरा सुझाव है कि डीएलएस मेथड में कुछ बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि यह सिस्टम पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम के खिलाफ है।
क्रिकेटर से कमेंटेटर बने आकाश चोपड़ा ने दावा किया कि ऑस्ट्रेलिया को परिस्थितियों का पता था। इसलिए उन्होंने इसका फायदा उठाया। उन्होंने कहा, “अगर हम ऑस्ट्रेलिया को देखें, तो जोश हेजलवुड ने सात ओवर और मिचेल स्टार्क ने छह ओवर फेंके। जब भारत की बारी आई, तो सिर्फ एक ही गेंदबाज को छह ओवर फेंकने की अनुमति थी। ऑस्ट्रेलिया के लिए, दो गेंदबाजों ने छह और एक ने सात ओवर फेंके। ऑस्ट्रेलिया को यह भी पता है कि प्रत्येक भारतीय गेंदबाज कितने ओवर फेंकेगा। इसलिए, लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को फायदा होता है। ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी करने आता है और उसे कुल योग और ओवरों की अच्छी जानकारी होती है।”
