नई दिल्ली। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पावन त्योहार भाई दूज इस बार 23 अक्टूबर 2025 को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का अनूठा प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं।
यमराज-यमुना की पौराणिक कथा
भाई दूज की पौराणिक कथा में यमराज और यमुना का खास स्थान है। कहा जाता है कि यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, एक बार अपनी बहन यमुना के घर गए। यमुना ने अपने भाई का हृदय से स्वागत किया, उनकी पूजा-अर्चना की, आरती उतारी और स्वादिष्ट भोजन कराकर उनका सत्कार किया। यमराज इस सेवा से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वचन दिया कि जो भाई दूज के दिन अपनी बहन के तिलक से आशीर्वाद प्राप्त करेगा, उसकी आयु लंबी और जीवन सुखमय होगा। तब से यह पर्व भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होकर मनाया जाता है।
भाई दूज कब और कैसे मनाया जाता है?
भाई दूज की सुबह बहनें स्नान करती हैं, व्रत रखती हैं और अपने भाइयों के लिए विशेष पूजा की थाली तैयार करती हैं। इस थाली में रोली, चावल, घी, मिठाई और दीपक शामिल होते हैं। बहनें अपने भाइयों के माथे पर घी और रोली से तिलक लगाती हैं, रक्षा सूत्र बांधती हैं और आरती करती हैं। इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करता है।
2025 में भाई दूज का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:19 बजे से 3:35 बजे तक है। इस समय तिलक लगाने से पर्व का फल अधिक शुभ और प्रभावशाली माना जाता है। बहनें इस मुहूर्त में अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें आशीर्वाद देंगी।
भाई दूज की विशेष परंपराएं
इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन यमराज और यमुना का स्मरण किया जाता है।
कई स्थानों पर वैदिक मंत्रों का जाप और विशेष पूजा होती है।
कुछ परिवार सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और इस मौके पर रिश्तेदार एकत्रित होते हैं।
बहनें अपने भाइयों को उपहार के रूप में कपड़े, पैसे और मिठाई देती हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
भाई दूज न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार और समाज में रिश्तों को मजबूत करने वाला पर्व भी है। यह व्यस्त जीवनशैली में भी परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के करीब लाने का अवसर देता है, जिससे प्रेम, सम्मान और सुरक्षा की भावना बनी रहती है।
