नई दिल्ली। दिवाली की जगमगाहट के बाद देश की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। इसी बीच, बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर की पत्नी और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर मीरा राजपूत कपूर ने पटाखों को लेकर समाज की सोच पर कड़ा सवाल उठाया है।
मीरा ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा और भावुक संदेश साझा करते हुए लिखा, हम अब भी पटाखे क्यों फोड़ रहे हैं? चाहे आप इसे बच्चों के लिए कहें या ‘फुलझड़ी एस्थेटिक’ के नाम पर करें, यह ठीक नहीं है।
AQI के आंकड़े डराने वाले
दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 से लेकर 350 तक रिकॉर्ड किया गया है, जो खराब से बेहद खराब श्रेणी में आता है। वहीं मुंबई के बांद्रा, अंधेरी और मलाड जैसे इलाकों में भी AQI 300 के पार जा पहुंचा है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह हवा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और सांस संबंधी कई बीमारियों को बढ़ावा दे सकती है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह बेहद हानिकारक है।
मीरा राजपूत का तर्क “परंपरा के नाम पर ज़हर नहीं”
मीरा का कहना है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी परंपरा को सामान्य नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने लिखा, अगर हम इस व्यवहार को सामान्य मानेंगे, तो हमारे बच्चे भी यही सीखेंगे। फिर यह चक्र कभी नहीं टूटेगा। ‘Say No To Crackers’ सिर्फ स्कूल प्रोजेक्ट की लाइन नहीं होनी चाहिए, जिसे Earth Day पर बोला जाए और दिवाली आते ही भूल जाएं।
“मैं अपने बच्चों को पटाखे देखने नहीं भेजूंगी”
मीरा ने यह भी साफ कर दिया कि वह अपने बच्चों को ऐसे प्रदूषण भरे आयोजनों का हिस्सा नहीं बनाएंगी। उन्होंने लिखा, नहीं, मैं अपने बच्चों को नहीं भेजूंगी यह सब देखने। कृपया रुकिए।
“AQI सिर्फ इंस्टाग्राम स्टोरी नहीं, हमारे बच्चों की सांसों की सच्चाई है”
मीरा ने सोशल मीडिया पर दिखावे को लेकर भी तंज कसते हुए कहा, AQI की खबरें सिर्फ इंस्टाग्राम स्टोरी की शोभा नहीं हैं। यह वही हवा है जो हमारे बच्चों के फेफड़ों में जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि पर्यावरण की रक्षा अब सिर्फ ऑनलाइन जागरूकता तक सीमित न रहे, बल्कि यह हर नागरिक की दैनिक जिम्मेदारी बननी चाहिए।
मीरा का स्पष्ट संदेश
बच्चों को पटाखों का ‘अनुभव’ देने के नाम पर हवा में ज़हर न घोलें
परंपरा के नाम पर प्रदूषण को सही ठहराना अब बंद करें
पर्यावरण के प्रति ईमानदार जिम्मेदारी निभाएं, सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं
त्यौहार रोशनी और खुशियों से मनाएं, धुएं और प्रदूषण से नहीं
कानूनी प्रयास और असल स्थिति
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बीते वर्षों में पटाखों पर रोक के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर इसका असर सीमित ही रहा है।हर साल दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता का गिरना एक आम समस्या बन चुकी है, लेकिन समाज में इसको लेकर बदलाव की रफ्तार धीमी है।
