नई दिल्ली । बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तेजस्वी यादव और डिप्टी सीएम का उम्मीदवार वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय की तरफ से अपनी भागीदारी की मांग उठने लगी है। कुछ मुस्लिमों ने सोशल मीडिया पर महागठबंधन के निर्णय की आलोचना करते हुए अपनी जनसंख्या का हवाला दिया है।
डिप्टी सीएम चेहरे को लेकर जारी बहस में लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मुस्लिम समुदाय को उनके पिता स्व. रामविलास पासवान की याद दिलाई। चिराग ने कहा कि 2005 में उनके पिता ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी थी, लेकिन तब भी मुसलमानों ने उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा पर लिखा, “राजद 2005 में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री के लिए तैयार नहीं था, आज 2025 में भी न मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार है, न उपमुख्यमंत्री! अगर आप बंधुआ वोट बैंक बनकर रहेंगे, तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?”
चिराग पासवान ने पटना में पत्रकारों से बातचीत में महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि गठबंधन यादव और सहनी समाज के आधार पर राजनीति कर रहा है, लेकिन मुसलमानों को केवल वोट बैंक के तौर पर देखता है। उन्होंने बताया कि बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 18 फीसदी है, लेकिन गठबंधन ने किसी मुस्लिम नेता को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या किसी प्रमुख पद का उम्मीदवार नहीं बनाया।
उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव यादव समाज से हैं, जिनकी आबादी लगभग 13 फीसदी है, जबकि मुकेश सहनी साहनी समाज से हैं, जिनकी आबादी लगभग 2 फीसदी है। इसके बावजूद 18 फीसदी मुस्लिम आबादी के प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज किया गया। महागठबंधन केवल मुसलमानों को डराकर और भावनात्मक मुद्दों पर भड़का कर वोट लेने में माहिर है, उन्हें वास्तविक सत्ता भागीदारी देने का इरादा कभी नहीं रहा।”
चिराग पासवान का यह बयान राजनीतिक बहस को और गर्मा सकता है। मुस्लिम समुदाय के अंदर बढ़ती नाराजगी और सत्ता में भागीदारी को लेकर उठ रही मांगें महागठबंधन के चुनावी समीकरणों को चुनौती दे सकती हैं। बिहार के आगामी चुनाव में समुदाय विशेष की भागीदारी और सत्ता प्रतिनिधित्व को लेकर यह मुद्दा चुनावी रणनीति पर महत्वपूर्ण असर डालने वाला प्रतीत होता है।
