भोपाल। देश के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में शामिल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए घोषित की गई कई अति-आधुनिक सुविधाएँ वर्षों बाद भी अधूरी हैं। प्रबंधन की धीमी गति के कारण ₹157 करोड़ के तीन बड़े प्रोजेक्ट अपनी निर्धारित समय सीमा (डेडलाइन) पार कर चुके हैं।यदि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरे हो जाते, तो आज ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज बिना किसी चीर-फाड़ के हो रहा होता।
डेडलाइन पार: तीन प्रमुख अधूरे प्रोजेक्ट्स
प्रोजेक्ट का नाम बजट मूल डेडलाइन (पूरी होनी थी) नई डेडलाइन (प्रबंधन के अनुसार)
पीईटी सीटी स्कैन और गामा नाइफ सेंटर ₹58.28 करोड़ 6 जून 2025 मार्च 2026
क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक (CCU) ₹99.31 करोड़ 13 फरवरी 2025 मार्च 2026
कुल बजट ₹157.59 करोड़ – –
प्रबंधन का दावा है कि ये सुविधाएँ जून 2026 से मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएँगी। हालांकि, यह तीसरी बार है जब इन प्रोजेक्ट्स की डेडलाइन बढ़ाई गई है।
सबसे अहम सुविधा: गामा नाइफ का 7 साल का इंतजार
गामा नाइफ ब्रेन कैंसर और ट्यूमर के इलाज की सबसे एडवांस तकनीक है, जिसके लिए साल 2019 से इंतजार हो रहा है।क्या है गामा नाइफ? यह कोई सर्जिकल चाकू नहीं, बल्कि एक नॉन-इनवेसिव रेडियो सर्जरी है। इसमें गामा किरणों की 192-200 पतली बीम को सीधे ट्यूमर के केंद्र पर फोकस किया जाता है, जिससे ट्यूमर सेल्स का डीएनए नष्ट हो जाता है।
यह प्रक्रिया 99% कारगर है। इसका उपयोग छोटे ब्रेन ट्यूमर (जैसे मैनिंजियोमा, एस्ट्रोसाइटोमा), चेहरे में बिजली जैसे दर्द और मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की विकृति के लिए होता है।कोरोना के चलते दो साल काम रुका, लेकिन इस सुविधा को शुरू होने में अब कुल 7 साल लग रहे हैं।
पीईटी सीटी स्कैन: बीमारियों की 6D पहचान
₹58 करोड़ के प्रोजेक्ट में शामिल पीईटी सीटी स्कैन (PET CT Scan) की सुविधा भी गंभीर रोगों के निदान के लिए अत्यंत आवश्यक है
यह एक न्यूक्लियर इमेजिंग तकनीक है जो शरीर में रेडियोएक्टिव ट्रेसर इंजेक्ट करके सेलुलर लेवल की गतिविधियों को ट्रैक करती है।यह कैंसर (ट्यूमर की लोकेशन और फैलाव), हृदय की कार्यक्षमता और पार्किंसन या अल्जाइमर जैसे न्यूरोलॉजिकल रोगों के निदान में अत्यधिक फायदेमंद है।
क्रिटिकल केयर ब्लॉक: 150 गंभीर मरीजों को मिलेगा जीवनदान
क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक के शुरू होने से आपातकालीन सेवाओं को बल मिलेगा:
क्षमता: इसमें एक साथ 150 गंभीर मरीजों के इलाज की सुविधा होगी।
24 घंटे ऑपरेशन थिएटर सक्रिय रहते, जिससे हृदय रोग, सैप्सिज, किडनी फेलियर या गंभीर दुर्घटनाओं के शिकार मरीजों की जान बचाई जा सकती थी।इन सेंटरों के तैयार होने के बाद मध्यप्रदेश समेत आसपास के राज्यों के गंभीर मरीजों को इलाज के लिए बार-बार दिल्ली या मुंबई का सफर नहीं करना पड़ेगा, और सरकारी सेंटर में इलाज का खर्च निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम होगा।
