भोपाल। भोपाल-राजगढ़ सीमा पर रूनाहा के पास स्थित 49 साल पुराना पार्वती ब्रिज (नदी पर बना) पिछले 10 महीनों से जर्जर हालत में है। जनवरी 2025 में इसके धंसने के बाद से ही यात्री और बस ऑपरेटर भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए दीवारें उठाने और वैकल्पिक रास्ता बनाने के बावजूद, यात्रियों को मजबूरी में खतरा उठाकर यात्रा करनी पड़ रही है।
जर्जर ब्रिज और यात्रियों की मजबूरी
49 साल पुराना ब्रिज 17 जनवरी 2025 को धंस गया था। रेलिंग खस्ताहाल है, बीच में से धंसा हुआ है, और सरिये झुके हुए हैं।
प्रशासन ने दोनों ओर 4-4 फीट की दीवारें उठा दी थीं, लेकिन राहगीरों ने इसे 3 फीट तक तोड़ दिया।
भोपाल (बैरसिया) की ओर की बसें (शर्मा, साहू, शुक्ला सर्विस) सवारियों को ब्रिज के कोने पर उतार देती हैं। यात्री 100 मीटर लंबा जर्जर ब्रिज पैदल पार करते हैं और दूसरी ओर (नरसिंहगढ़) इम्तियाज/अशोक ऑटो से आगे का सफर करते हैं।
यह सिलसिला सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक चलता है, जिससे बस ऑपरेटरों को नुकसान हो रहा है।राहगीरों का कहना है कि डर लगता है, लेकिन 30-40 किलोमीटर का फेरा लगाने से बचने के लिए खतरा मोल लेना मजबूरी है।
वैकल्पिक रास्ते पर हादसा
ब्रिज के पास ही नदी के स्टॉपडैम में मुर्रम-गिट्टी बिछाकर 100 मीटर लंबा एक वैकल्पिक रास्ता (डायवर्सन रूट) बनाया गया था।पिछले सप्ताह इसी कच्चे रास्ते से गुजरते समय एक बस तिरछी हो गई थी, और उससे एक दिन पहले ही एक ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क से फिसलकर स्टॉपडैम के पानी में गिर गई, हालांकि ट्रैक्टर में सवार चारों लोग सुरक्षित बच गए।एसडीएम ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों से ब्रिज का काम जल्दी करने और खस्ताहाल वैकल्पिक रास्ते को भी तुरंत ठीक करवाने को कहा है।
राजनैतिक क्षेत्र और अनदेखी
यह ब्रिज जिस क्षेत्र में स्थित है, वह एक साथ कई प्रभावशाली राजनेताओं के कार्यक्षेत्र में आता है, फिर भी इसकी मरम्मत को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखी हैयह ब्रिज एक मंत्री (नारायण सिंह पंवार), दो सांसद (आलोक शर्मा, रोडमल नागर) और तीन विधायकों (विष्णु खत्री, मोहन शर्मा, सुदेश राय) के इलाकों से जुड़ा है।
ट्रैफिक और भविष्य की योजना
महत्व: यह ब्रिज भोपाल, राजगढ़ को गुना, विदिशा, इंदौर, उज्जैन जैसे शहरों से जोड़ता है, और आगरा-बंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) को भी जोड़ता है।
पहले इस ब्रिज से प्रतिदिन 1.5 से 2 लाख लोग गुजरते थे, जो अब घटकर 8 से 10 हजार रह गया है।
लगभग ₹25 करोड़ की लागत से नया ब्रिज बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी फाइलों में ही दबा हुआ है।
यह Bridge 49 साल पुराना है और इसकी आखिरी बार मरम्मत 2019-20 में की गई थी, जिसके बाद मेंटेनेंस न होने के कारण इसकी हालत बद से बदतर हो गई।
पार्वती ब्रिज के जर्जर होने और आवाजाही बाधित होने का सीधा वित्तीय असर बस ऑपरेटरों पर पड़ रहा है, जो बैरसिया और नरसिंहगढ़ के बीच यात्रियों को ले जाते हैं। ऑपरेटरों के अनुसार, उन्हें टैक्स पूरा देना पड़ रहा है, जबकि किराया कम मिल रहा है और आवाजाही भी घट गई है।
बस ऑपरेटरों को हो रहा वित्तीय नुकसान
पूरा टैक्स भरना
बस ऑपरेटर, जैसे तस्लीम, बताते हैं कि उन्होंने अपनी बसों का परमिट बैरसिया से नरसिंहगढ़ तक का ले रखा है।
इसके लिए उन्हें हर महीने करीब 10 हजार रुपये टैक्स सरकार को पूरा देना पड़ रहा है।
किराये में कमी (नुकसान)
ब्रिज धंसने के कारण बसें सवारियों को गंतव्य तक नहीं पहुंचा पा रही हैं। उन्हें यात्रियों को ब्रिज के कोने पर ही उतारना पड़ रहा है, जिसके बाद यात्री पैदल चलते हैं और दूसरी ओर ऑटो से आगे का सफर करते हैं।
चूंकि बसें पूरा सफर तय नहीं कर पा रही हैं, इसलिए ऑपरेटरों को मजबूरी में किराया कम लेना पड़ रहा है, जिससे उन्हें सीधा नुकसान हो रहा है।
रूट पर आवाजाही में कमी
खतरनाक रास्ते और आवाजाही में हो रही परेशानी के कारण इस रूट पर यात्रियों की संख्या कम हो गई है, जिससे ऑपरेटरों की दैनिक कमाई प्रभावित हुई है।
बस ऑपरेटर परमिट का पूरा खर्च वहन कर रहे हैं, लेकिन ब्रिज की वजह से वे अपनी पूरी सर्विस नहीं दे पा रहे हैं, जिससे उन्हें राजस्व का नुकसान हो रहा है। यात्री भी मजबूरी में जोखिम उठाकर और अतिरिक्त किराया देकर अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं।यह जर्जर पार्वती ब्रिज, जो भोपाल-राजगढ़ सीमा पर स्थित है, केवल स्थानीय आवाजाही के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी के लिए भी महत्वपूर्ण है।
निर्माण और रखरखाव का इतिहास
निर्माण का वर्ष ब्रिज लगभग 49 साल पुराना है (इसका निर्माण 1976 के आसपास हुआ होगा)।
निर्माण एजेंसी ब्रिज का निर्माण पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) द्वारा किया गया था। जबकि रूनाहा से नरसिंहगढ़ तक सड़क एमपीआरडीसी (मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) ने बनाई थी।
मरम्मत इतिहास 49 साल के कार्यकाल में इसकी मरम्मत केवल दो बार हुई थी।
अंतिम मरम्मत आखिरी बार इसकी मरम्मत 2019-20 में की गई थी, जिसके बाद उचित मेंटेनेंस न होने के कारण यह जर्जर हो गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ाव
यह ब्रिज रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कई जिलों और एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ता है:
स्थानीय कनेक्टिविटी: यह ब्रिज भोपाल जिले के मेघरा नवीन गांव को राजगढ़ जिले के बरायेठा गांव से जोड़ता है।
राज्यव्यापी कनेक्टिविटी: यह भोपाल और राजगढ़ के अलावा गुना, विदिशा, शिवपुरी, अशोकनगर, आगर-मालवा, शाजापुर, इंदौर, और उज्जैन जैसे महत्वपूर्ण शहरों से आने-जाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
राष्ट्रीय महत्व: यह ब्रिज आगरा-बंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) को भी जोड़ता है, जिससे यह न केवल क्षेत्रीय, बल्कि अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
जब यह ब्रिज सही स्थिति में था, तब इससे प्रतिदिन डेढ़ लाख से 2 लाख तक लोग गुजरते थे, जो इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
