खंडवा। खंडवा के नर्मदानगर में आज (गुरुवार, 30 अक्टूबर) मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा नर्मदा नदी में मगरमच्छ छोड़े जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सरकार इसे वन्यजीव संरक्षण अभियान और नर्मदा की धारा के लिए शुभ बता रही है, वहीं स्थानीय मछुआरा संगठनों ने इसे अपनी आजीविका और जीवन के लिए बड़ा खतरा करार दिया है।
मगरमच्छ छोड़ने का सरकारी पक्ष
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ‘पुण्य सलिला मां नर्मदा के वाहन मगरमच्छ को मां नर्मदा में बसाने’ के संकल्प को आगे बढ़ा रही है। यह प्रदेश में चल रहे वन्यजीवों के संरक्षण अभियान का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि मगरमच्छों के आवास के लिए नर्मदा जी की धारा अत्यंत अनुकूल है।
उन्होंने कहा कि मगरमच्छों को छोड़ते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि उन्हें ऐसे स्थान पर छोड़ा जाए, जहां लोगों को इससे खतरा न हो। उनकी मौजूदगी जल की धारा को सशक्त बनाएगी।
मुख्यमंत्री दोपहर 3 बजे नर्मदानगर आएंगे और भोपाल से रेस्क्यू किए गए 6 मगरमच्छों को इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में छोड़ा जाएगा।
मछुआरा संगठनों का कड़ा विरोध
मछुआरा कांग्रेस और कहार माझी समाज ने इस फैसले को मछुआरों के जीवन पर खतरा बताते हुए पुरजोर विरोध किया है:
मछुआरा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सदाशिव भंवरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री इंदिरा सागर डेम के तीन जिलों (खंडवा, हरदा, देवास) के हजारों मछुआरों को “साक्षात मौत परोसते हुए” मगरमच्छ छोड़ेंगे।
विरोध का मुख्य कारण यह है कि डूब प्रभावित और विस्थापित आर्थिक रूप से कमजोर मछुआरे छोटी नावें या केवल टायर ट्यूब का इस्तेमाल करके मछली पकड़ते हैं। उनके अनुसार, मगरमच्छ और घड़ियालों का परिवार बढ़ने पर ऐसे मछुआरों को ये जीव आए दिन शिकार बनाएंगे।
आजीविका का साधन
कहार माझी समाज के अध्यक्ष अश्विनी चौहान ने कहा कि इंदिरा सागर डेम में सैकड़ों मछुआरे मछली पकड़कर जीवन यापन करते हैं, और उनके लिए यह खतरे की घंटी है। उन्होंने सीएम से मगरमच्छों को चंबल में ही रहने देने और यहां रोजगार का साधन देने का निवेदन किया।उन्होंने आशंका जताई कि जब डेम के गेट खुलेंगे तो मगरमच्छ स्वाभाविक रूप से ओंकारेश्वर और नर्मदा घाटों तक आएंगे, जिससे नर्मदा स्नान करने वालों की जान पर खतरा मंडराएगा।
मछुआरा समाज ने यह भी उल्लेख किया कि पहले ओंकारेश्वर के जंगलों में तेंदुए छोड़ने से नर्मदा परिक्रमा करने वालों की जान पर भी खतरा बन आया है।
