मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। विशेष कार्य बल (STF) ने ऐसी बड़ी साजिश का खुलासा किया है जिसमें दर्जनों लोगों ने फर्जी डी.एड. डिप्लोमा इन एजुकेशन सर्टिफिकेट लगाकर सरकारी शिक्षक की नौकरी हासिल की। जांच में अब तक 100 से अधिक शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, जिनमें से कई अभी भी अलग-अलग जिलों के सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं।
चार जिलों से शुरू हुई कार्रवाई
STF ने कई महीनों की गहन जांच के बाद इंदौर, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी जिलों में फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी पाने वाले 34 शिक्षकों की पहचान की है। इनमें से 8 शिक्षकों को नामजद आरोपी बनाया गया है, जबकि 26 अन्य संदेह के घेरे में हैं।जिन शिक्षकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उनके नाम हैं
गंधर्व सिंह रावत साहब सिंह कुशवाह, बृजेश रोरिया, महेन्द्र सिंह रावत, लोकेन्द्र सिंह, रूबी कुशवाह, रविन्द्र सिंह राणा और अर्जुन सिंह चौहान। ये सभी फिलहाल विभिन्न सरकारी स्कूलों में पदस्थ हैं। STF ने इनके खिलाफ धोखाधड़ी जालसाजी और सरकारी सेवा में गलत जानकारी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
कैसे रचा गया फर्जीवाड़ा
STF की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि कई आरोपियों ने नकली डी.एड. सर्टिफिकेट बनवाकर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया। ये प्रमाणपत्र या तो बंद हो चुके प्रशिक्षण संस्थानों के नाम पर बनाए गए थे या फिर ऐसे कॉलेजों से जारी दिखाए गए जिनका अस्तित्व ही नहीं था।आरोप है कि कुछ शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अंदर मौजूद भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से यह साजिश रची। जांच एजेंसी को संदेह है कि कुछ अधिकारी जानबूझकर दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही बरतते रहे जिससे ये लोग बिना किसी अड़चन के सरकारी नौकरी हासिल कर सके।
शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप
STF की रिपोर्ट के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। विभाग ने अब खुद भी आंतरिक जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार जांच का दायरा और बढ़ाया जा सकता है क्योंकि कई जिलों से संदिग्ध सर्टिफिकेट्स की जानकारी मिली है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया संभावना है कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ कुछ जिलों तक सीमित नहीं है। यदि सभी दस्तावेजों की जांच की जाए तो और भी शिक्षक सामने आ सकते हैं।
आगे की कार्रवाई
STF अब आरोपियों की नियुक्ति प्रक्रिया वेतन भुगतान और प्रमाणपत्र सत्यापन की बारीकी से जांच कर रही है। जिन शिक्षकों को दोषी पाया जाएगा उनकी सेवाएँ समाप्त की जाएँगी और उनसे प्राप्त वेतन की वसूली भी की जा सकती है। साथ ही जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिलेगी उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई तय मानी जा रही है।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह मामला प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। फर्जी डिग्री लेकर सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले ये शिक्षक न सिर्फ सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर रहे थे, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे थे।मध्यप्रदेश में फर्जी शिक्षकों का यह घोटाला केवल एक आपराधिक मामला नहीं बल्कि यह दिखाता है कि यदि भर्ती और सत्यापन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी हो तो पूरे सिस्टम की साख पर सवाल उठ जाता है। STF की यह कार्रवाई शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि दोषियों को कितनी सख्त सजा मिलती है और क्या सरकार इस तरह की धोखाधड़ी को दोबारा रोकने के लिए ठोस कदम उठाती है।
