नई दिल्ली । पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने बुधवार को इतिहास रचते हुए 27वां संविधान संशोधन विधेयक दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के पारित होने के साथ ही पाकिस्तान की सैन्य और संवैधानिक संरचना में बड़े बदलाव होंगे। विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ का नया पद, फील्ड मार्शल को आजीवन पद पर बनाए रखने की व्यवस्था और सांविधानिक अदालत की स्थापना शामिल है।
विधेयक पर अब केवल राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मंजूरी बाकी है। राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह विधेयक कानून के रूप में लागू हो जाएगा और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की शक्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
नेशनल असेंबली में मतदान का दृश्य काफी नाटकीय रहा। विधेयक की 59 धाराओं को मंजूरी दी गई, जिसमें 234 सांसदों ने समर्थन किया और केवल चार सांसद विरोध में रहे। इस दौरान विपक्षी दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसदों ने हंगामा किया और विधेयक की प्रतियां फाड़कर प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर उछाल दी। सत्र में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो-जरदारी मौजूद थे। विपक्षी गठबंधन तेहरीक तहफ्फुज-ए-आईन-ए-पाकिस्तान (टीटीएपी) ने इस संशोधन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की भी घोषणा कर दी, हालांकि संसद के बाहर व्यापक विरोध नहीं देखा गया।
संशोधन के मुख्य प्रावधान
विधेयक के अनुसार, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर आर्मी चीफ और नए पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज की नियुक्ति करेंगे। जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पद 27 नवंबर 2025 को समाप्त हो जाएगा। आर्मी चीफ, जो अब चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज भी होंगे, प्रधानमंत्री से सलाह लेकर नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड के प्रमुख की नियुक्ति करेंगे। यह पद हमेशा पाकिस्तानी सेना से होगा।
सरकार अब सेना, वायुसेना और नौसेना के अधिकारियों को क्रमशः फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ एयर फोर्स और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे उच्च रैंक तक पदोन्नत कर सकेगी। सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि फील्ड मार्शल का दर्जा आजीवन रहेगा, जिससे वर्तमान और भविष्य के आर्मी चीफ की शक्ति स्थायी रूप से बढ़ जाएगी।
कानून मंत्री आजम नजीर तारड़ ने विधेयक को “विकासशील और विचारपूर्ण संवैधानिक सुधार प्रक्रिया” करार दिया। उनके अनुसार यह बदलाव पाकिस्तान की सुरक्षा और प्रशासनिक संरचना को मजबूत करेगा। वहीं, विपक्ष इसे सैन्य हठ और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर खतरे के रूप में देख रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संशोधन के लागू होने के बाद पाकिस्तानी सेना के प्रभाव में वृद्धि होगी और सिविल प्रशासन की भूमिका अपेक्षाकृत सीमित हो सकती है। यह कदम पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य स्थिति में नए युग की शुरुआत जैसा माना जा रहा है।
इस घटनाक्रम के बाद पूरे पाकिस्तान में संवैधानिक सुधारों और सेना की शक्ति पर बहस तेज हो गई है, और आने वाले दिनों में राजनीतिक तापमान और बढ़ने की संभावना है।
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