नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव की वोट गिनती आज जारी है और राज्य के कई हाई-प्रोफाइल सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। शुरुआती रुझानों के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शानदार प्रदर्शन करते हुए बढ़त बनाए हुए है, जबकि जेडीयू और बीजेपी के खेमे में जश्न और उत्साह का माहौल है। वहीं, महागठबंधन के दल भी इस चुनावी मुकाबले को रोमांचक बना रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है।
एनडीए की बढ़त, महागठबंधन की चुनौती
पिछले चुनावों की तुलना में, एनडीए के प्रदर्शन में सुधार देखा जा रहा है। शुरुआती रुझानों के अनुसार, एनडीए की सरकार एक बार फिर बिहार में मजबूत बनती हुई नजर आ रही है। इस बार बीजेपी और जेडीयू के साथ-साथ लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का प्रदर्शन भी शानदार रहा है। महागठबंधन के दलों में आरजेडी और कांग्रेस की स्थिति भी मजबूत दिखाई दे रही है, जिससे चुनावी मुकाबला और भी रोमांचक बन गया है।
पिछली बार के मुकाबले क्या बदला?
पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 74 सीटों पर विजय प्राप्त की थी, जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने एनडीए से अलग होकर 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी पार्टी को मात्र एक सीट मिली थी। हालांकि, इस बार एलजेपी का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है, और पार्टी 22 सीटों पर आगे चल रही है, जो उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
एनडीए और महागठबंधन के रुझान
2025 के रुझानों के अनुसार, एनडीए के दलों में बीजेपी 85 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि जेडीयू 75 सीटों पर, एलजेपी (आर) 22 सीटों पर, हिन्दुतानी आवाम मार्च (एचएएम) 4 सीटों पर और आरएलएम 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन के दलों में आरजेडी 36 सीटों पर, कांग्रेस 6 सीटों पर, वीआईपी 1 सीट पर और लेफ्ट 8 सीटों पर आगे चल रहे हैं।
महागठबंधन में इस बार आरजेडी ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस ने 60, सीपीआई माले ने 20, वीआईपी ने 11, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। यह चुनावी मुकाबला इस बात का प्रमाण है कि बिहार की जनता ने विकास के वादे और कार्यों पर भरोसा जताया है, जो एनडीए के पक्ष में नजर आता है।
क्या बदल सकता है चुनावी माहौल?
राज्य में अभी भी चुनावी परिणामों को लेकर असमंजस बना हुआ है, और अंतिम नतीजे आने में कुछ वक्त लग सकता है। हालांकि, शुरुआती रुझानों से यह स्पष्ट है कि बिहार की जनता ने इस बार विकास को प्राथमिकता दी है, और एनडीए को यह भरोसा दिया है कि वह राज्य में फिर से सरकार बनाने में सफल होगा। महागठबंधन के पक्ष में सीटों की संख्या में वृद्धि भी बताती है कि विपक्षी दलों ने भी कड़ी मेहनत की है, और वे इस चुनावी लड़ाई में आसानी से पीछे नहीं हटेंगे।
बिहार में परिणामों का असर न सिर्फ राज्य की राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि यह देश भर में चुनावी रणनीतियों पर भी चर्चा का विषय बनेगा।
