नई दिल्ली। जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर स्थित नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार रात हुआ भीषण विस्फोट पूरे क्षेत्र के लिए दहशत का कारण बन गया। धमाका इतना ज़ोरदार था कि थाने की इमारत का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और आसपास खड़ी कई गाड़ियां जलकर खाक हो गईं। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस इंस्पेक्टर समेत कई लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि करीब 27 लोग घायल हुए हैं जिनमें अधिकतर पुलिसकर्मी शामिल हैं।
हालांकि पुलिस ने इस घटना को आतंकी हमला मानने से इंकार करते हुए इसे जांच से जुड़े एक हादसे का नतीजा बताया है। घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और क्षेत्र को सील कर विशेषज्ञों की टीमों द्वारा जांच शुरू कर दी गई। इस धमाके ने सुरक्षा व्यवस्था और जांच प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विस्फोट पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे सुरक्षा तंत्र की बड़ी विफलता बताया। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा कि नौगाम पुलिस स्टेशन में हुआ धमाका बेहद दुखद और चिंताजनक है। केजरीवाल ने शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की, साथ ही सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से कड़े सवाल पूछे।
उन्होंने लिखा कि दिल्ली धमाके की गूंज अभी थमी नहीं थी और देश एक और धमाके से दहल गया। आखिर सुरक्षा एजेंसियां, खुफिया विभाग और गृह मंत्रालय क्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों हो रहा है, इसका जवाब देश चाहता है।
पुलिस के मुताबिक, यह हादसा उस समय हुआ जब फोरेंसिक टीम बरामद किए गए अमोनियम नाइट्रेट की जांच कर रही थी। यह विस्फोटक फरीदाबाद में पकड़े गए सफेदपोश आतंकी नेटवर्क से जुड़ा था। बताया जाता है कि दिल्ली धमाके में शामिल आतंकी नेटवर्क को पकड़ने के बाद कश्मीरी आतंकी डॉ. मुज़म्मिल के ठिकाने से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट मिला था।
इसका कुछ हिस्सा फोरेंसिक लैब में भेजा गया था जबकि बाकी नौगाम थाने के मालखाने में रखा हुआ था। नमूने लेते समय अचानक हुए विस्फोट ने पूरी इमारत को हिला दिया।
अचानक हुए धमाके की शक्ति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि आसपास की इमारतों के शीशे टूट गए और पार्किंग में खड़ी गाड़ियां मिनटों में आग की लपटों में घिर गईं। जांच एजेंसियों का मानना है कि विस्फोटक सामग्री की हैंडलिंग में गंभीर चूक हुई, जिसने इतनी बड़ी दुर्घटना को जन्म दिया।
इस हादसे के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्ष इसे सुरक्षा तंत्र की नाकामी बता रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने विस्तृत जांच का आदेश दे दिया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही चूकें चिंता का विषय हैं और यह घटना बताती है कि विस्फोटक सामग्री से जुड़े मामलों में और अधिक सावधानी और बेहतर प्रोटोकॉल की जरूरत है। फिलहाल जांच एजेंसियां हादसे के हर पहलू की पड़ताल कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि सुरक्षा में इतनी बड़ी दरार आखिर कैसे पड़ गई।
