नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने ऐसा राजनीतिक चमत्कार कर दिखाया, जिसकी कल्पना शायद खुद उसके दिग्गज नेताओं ने भी नहीं की होगी। चुनावी नतीजों में सत्ताधारी गठबंधन ने 243 में से 202 सीटें जीतकर अभूतपूर्व बहुमत हासिल किया, जबकि महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया। यह नतीजा बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर माना जा रहा है।
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह रिजल्ट हम सबके लिए अविश्वसनीय है। न कांग्रेस, न बिहार की जनता, न ही हमारे सहयोगी इसे पचा पा रहे हैं। किसी दल का 90% स्ट्राइक रेट—इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। हम पूरे राज्य से डेटा जुटा रहे हैं और विस्तृत विश्लेषण करेंगे।”
छोटी पार्टियों की बड़ी भूमिका
इस चुनाव की कहानी केवल बड़े गठबंधनों तक सीमित नहीं रही। कई छोटी पार्टियों ने भी मुकाबले को अप्रत्याशित दिशा दी और वोट शेयर की सूक्ष्म लड़ाई में अहम किरदार निभाया।
सबसे ज्यादा चर्चा में रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसने पहली बार चुनावी मैदान में उतरकर 3.4% वोट शेयर हासिल किया। भले ही पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन 238 सीटों पर उसके उम्मीदवारों ने दोनों गठबंधनों के समीकरण पूरी तरह बिगाड़ दिए।
33 सीटों पर जन सुराज का वोट जीत के अंतर से ज्यादा था। इनमें 18 सीटें एनडीए और 13 सीटें महागठबंधन ने जीतीं। अर्थात, जन सुराज ने दोनों पक्षों के वोट काटे, लेकिन नुकसान महागठबंधन को ज्यादा भुगतना पड़ा।
बीएसपी का असर: किसे पड़ा भारी?
मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने इस बार बिहार में बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई। 181 सीटों पर चुनाव लड़कर बीएसपी ने एक सीट जीती और एक पर दूसरे स्थान पर रही। 20 सीटों पर उसके वोट जीत के अंतर से ज्यादा थे। इनमें 18 सीटों पर एनडीए विजयी रहा, जबकि महागठबंधन सिर्फ 2 पर जीत सका। यानी, बीएसपी की मौजूदगी ने लगभग 90% मामलों में अप्रत्यक्ष रूप से एनडीए को फायदा पहुंचाया।
ओवैसी फैक्टर फिर हुआ असरदार
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने 2020 की तरह इस बार भी दमदार प्रदर्शन करते हुए 5 सीटें जीतीं। 9 सीटों पर उसके वोट निर्णायक साबित हुए। इनमें 67% सीटें एनडीए और 33% महागठबंधन की झोली में गईं।
वोट शेयर की कहानी क्या कहती है?
वोट प्रतिशत के नजरिए से देखें तो विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या वोटों का बिखराव रहा। आरजेडी को 23.4% वोट मिले, लेकिन सिर्फ 25 सीटें मिलीं। वहीं बीजेपी ने 20.4% और जेडीयू ने 19.6% वोट के साथ तीन गुना ज्यादा सीटें जीतीं। स्पष्ट है कि एनडीए ने वोट बैंक को एकजुट रखा, जबकि विपक्ष तीन-तरफा मुकाबले में बुरी तरह बिखर गया। चुनावी नतीजों ने साबित कर दिया कि बिहार 2025 में जनता ने स्थिरता को प्राथमिकता दी और विपक्षी गठबंधन रणनीति के स्तर पर पूरी तरह विफल रहा।
