नई दिल्ली। कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव को नई ऊँचाई पर ले जाते हुए, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच एक बड़ा रक्षा और व्यापार समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां Nuclear Attack Submarines बनाने के लिए न केवल तकनीकी सहयोग देगा, बल्कि इन पनडुब्बियों के लिए ईंधन Nuclear Fuel भी उपलब्ध कराएगा।
अमेरिका-साउथ कोरिया समझौता और भारी निवेश
व्हाइट हाउस ने गुरुवार को जारी एक लेटर में इस समझौते की पुष्टि की।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ये पनडुब्बियां अमेरिकी राज्य पेंसिल्वेनिया के फिलाडेल्फिया के शिपयार्ड में बनेंगी, जो दक्षिण कोरियाई कंपनी हन्वा की अमेरिकी यूनिट है। हालाँकि, दक्षिण कोरियाई अधिकारी चाहते हैं कि ये पनडुब्बियां कोरिया में ही बनें, ताकि निर्माण तेजी से हो सके।पिछले महीने हुए व्यापार समझौते के तहत, दक्षिण कोरिया अमेरिका में 29.58 लाख करोड़ रुपए का भारी निवेश करेगा, जिसमें जहाज निर्माण में 12.68 लाख करोड़ रुपए शामिल हैं।
किम जोंग उन की नींद उड़ा देंगी
दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री अहन ग्यू-बैक ने इस कदम को उत्तर कोरिया के लिए एक बड़ी चुनौती बताया।उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, यह उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की नींद उड़ा देंगी। परमाणु पनडुब्बियां साउथ कोरिया की रक्षा क्षमता में बड़ा उछाल लाएंगी।दक्षिण कोरिया लंबे समय से परमाणु पनडुब्बियां चाहता है ताकि वह उत्तर कोरिया के खतरे का प्रभावी ढंग से जवाब दे सके।
परमाणु पनडुब्बी क्यों महत्वपूर्ण?
वर्तमान में, दुनिया में सिर्फ 6 देशोंअमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और भारतके पास परमाणु पनडुब्बियां हैं। दक्षिण कोरिया के पास पहले से ही लगभग 20 डीजल से चलने वाली पनडुब्बियां हैं, लेकिन, इन्हें बार-बार सतह पर आना पड़ता है।ये लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती हैं, तेज गति से चल सकती हैं और दूर तक ऑपरेशन कर सकती हैं। ये उत्तर कोरियाई खतरे से निपटने के लिए आवश्यक हैं।
उत्तर कोरिया भी बना रहा न्यूक्लियर पनडुब्बी
दक्षिण कोरिया को यह कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उत्तर कोरिया भी अपनी परमाणु क्षमताओं को तेजी से बढ़ा रहा हैदक्षिण कोरियाई अधिकारियों के अनुसार, उत्तर कोरिया रूस की मदद से परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम पर काम कर रहा है। मार्च 2025 में, उत्तर कोरिया ने निर्माणाधीन परमाणु पनडुब्बी की तस्वीरें भी जारी की थीं।किम जोंग उन ने 2021 में ही आधुनिक हथियारों का जखीरा तैयार करने की बात कही थी, जिसमें न्यूक्लियर पावर वाली सबमरीन, सॉलिड फ्यूल से चलने वाली ICBM और हाइपर-सोनिक वेपन शामिल हैं।
चीन और रूस को लग सकती है डील बुरी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से कोरियाई प्रायद्वीप पर पहले से व्याप्त तनाव और बढ़ जाएगा।डब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के वरिष्ठ फेलो डॉ. एंड्र्यू यियो ने बताया कि यह कदम उत्तर कोरिया, चीन और रूस को बुरा लगेगा। इससे कोरियाई प्रायद्वीप पर सुरक्षा के बजाय अस्थिरता और हथियारों की होड़ का जोखिम बढ़ेगा।इस कदम से उत्तर कोरिया को ‘घेराबंदी’ का एहसास हो सकता है, जिससे वह और अधिक आक्रामक रुख अपना सकता है।
