बिहार चुनाव के नतीजों के बाद देश की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा ने चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बिहार में जो परिणाम सामने आए हैं, वे जनता की वास्तविक इच्छा का प्रतिबिंब नहीं हैं, बल्कि यह चुनाव आयोग की भूमिका का असर है। वाड्रा ने दावा किया कि यदि बिहार में दोबारा चुनाव कराए जाएं, तो नतीजे पूरी तरह बदल जाएंगे। उनके इस बयान से विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नई राजनीतिक बहस शुरू हो गई है।
इंदौर पहुंचे रॉबर्ट वाड्रा ने एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह आरोप लगाए। वे खंडवा जिले में स्थित पवित्र ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के दर्शन के लिए रवाना हो रहे थे। इंदौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया और उन्हें त्रिशूल भेंट किया। वाड्रा ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा कांग्रेस का मूल संकल्प है और इस संघर्ष में उन्हें जनता व ईश्वर दोनों की शक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं। हमें शिव की शक्ति चाहिए। हम परिवार के लिए पूजा करेंगे और बदलाव अवश्य आएगा।”
इंदौर में रॉबर्ट वाड्रा ने खजराना गणेश मंदिर पहुंचकर दर्शन किए और फिर एक अनाथ आश्रम जाकर बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने बच्चों को आवश्यक सामग्री और उपहार भी दिए। सोमवार को वे सड़क मार्ग से ओंकारेश्वर जाकर विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। वाड्रा के इस दौरे के धार्मिक और राजनीतिक दोनों मायने निकाले जा रहे हैं।
दूसरी ओर, बिहार चुनाव के नतीजों पर रॉबर्ट वाड्रा के आरोपों का भारतीय जनता पार्टी ने तीखे शब्दों में जवाब दिया है। इंदौर में मौजूद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि बिहार के नतीजे विकास और सुशासन की जीत हैं और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि परिणाम साफ है जनता ने एक बार फिर कांग्रेस की नीतियों और कार्यशैली को नकार दिया है। उन्होंने कहा, “बिहार तो सिर्फ ट्रेलर है, बंगाल अभी बाकी है।” भंडारी के इस बयान से साफ है कि भाजपा आगामी राज्यों के चुनावों को लेकर भी बेहद आश्वस्त है।
प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह पार्टी हमेशा हार का दोष दूसरों पर डालती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए बजाय इसके कि चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए जाएं। भंडारी ने यह भी कहा कि जब प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले ही कहा था कि जनता विकास के पक्ष में फैसला देगी, तब कई लोगों ने उस बयान को हल्के में लिया था, लेकिन नतीजों ने यह साबित कर दिया कि बिहार ने विकास को वोट दिया है।
आरजेडी और कांग्रेस के रिश्तों पर भी भंडारी ने टिप्पणी की और कहा कि विपक्षी गठबंधन अंदर से बिखरा हुआ है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जो अपने परिवार को नहीं संभाल पा रहे, वे बिहार को क्या संभालेंगे?” उनके अनुसार, बिहार की जीत युवाओं और महिलाओं की जीत है, जिन्होंने यह संदेश दिया है कि वे स्थिरता और विकास चाहते हैं, न कि पारिवारिक राजनीति।
चुनाव में धांधली के विपक्षी आरोपों पर उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव अत्यंत शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हुए। भंडारी ने बताया कि इस चुनाव में किसी भी मतदान केंद्र पर दोबारा मतदान की जरूरत नहीं पड़ी, जो यह साबित करता है कि चुनाव आयोग ने पूरी पारदर्शिता से अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह विपक्ष की आदत बन चुकी है कि जब भी उन्हें हार मिलती है, वे EVM, चुनाव आयोग या अन्य संस्थाओं पर ठीकरा फोड़ना शुरू कर देते हैं।
बिहार के राजनीतिक माहौल में यह नया विवाद ऐसे समय पर उठा है जब राज्य में नई सरकार के गठन और मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर चर्चा तेज है। ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा के बयान और भाजपा के पलटवार ने राजनीतिक वातावरण को और गरम कर दिया है। कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता का सवाल बता रही है, जबकि भाजपा इसे हार स्वीकार न कर पाने की मानसिकता करार दे रही है।
फिलहाल, वाड्रा के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद से लेकर सड़क तक गूंजने की संभावना है। बिहार की राजनीतिक जमीन पर एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर का संघर्ष दिखाई दे रहा है एक तरफ विपक्ष चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़ा कर रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ता पक्ष इसे जनता का स्पष्ट जनादेश बता रहा है। देश की राजनीति में बिहार चुनाव एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है।
