ढाका। बांग्लादेश की राजनीति आज एक अहम मोड़ पर खड़ी है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की लंबे समय तक प्रमुख रहीं शेख हसीना के खिलाफ मानवता-विरोधी अपराधों को लेकर चल रहे मुकदमे का फैसला सोमवार को स्पेशल ट्रिब्यूनल सुनाएगा। यह फैसला न केवल बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा से लेकर पड़ोसी देशों तक पर इसका असर पड़ सकता है।
सरकारी सूत्रों और सुरक्षा एजेंसियों के अनुमान के अनुसार, ट्रिब्यूनल का फैसला शेख हसीना के प्रतिकूल जाने की संभावना अधिक है। इसी आशंका के चलते ढाका सहित पूरे देश में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। राजधानी में अर्धसैनिक बलों, पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की तैनाती बढ़ा दी गई है। भीड़ नियंत्रण के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए हैं और संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू है।
प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने तक की चेतावनी
सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि यदि फैसले के बाद हिंसक प्रदर्शन भड़कते हैं, तो सुरक्षा बल आवश्यक होने पर गोली चलाने तक की कार्रवाई कर सकते हैं। देश के गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि किसी भी प्रकार की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ढाका विश्वविद्यालय, टीका, मीरपुर, चटगाँव, सिलहट और राजशाही जैसे बड़े शहरों में पुलिस ने फ्लैग मार्च किया है। प्रदर्शन की आशंका वाले कई स्थानों पर इंटरनेट गति धीमी कर दी गई है और सोशल मीडिया की निगरानी बढ़ गई है।
2024 की हिंसा ने बदला बांग्लादेश का राजनीतिक परिदृश्य
शेख हसीना के खिलाफ माहौल बनने के पीछे 2024 में हुई वह श्रृंखलाबद्ध हिंसा है जिसने पूरे बांग्लादेश को झकझोर दिया था। उस समय कट्टरपंथी संगठनों ने सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू किए थे। इन प्रदर्शनों में यातायात ठप हो गया था, सरकारी इमारतों में आगजनी हुई थी और कई पुलिस कर्मियों पर हमले हुए थे।
स्थिति लगातार बिगड़ने लगी तो शेख हसीना सरकार ने आंदोलन पर नियंत्रण पाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को कार्रवाई के आदेश दिए। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिसके बाद देशभर में शेख हसीना के खिलाफ अभूतपूर्व आक्रोश पैदा हो गया। विपक्षी दलों ने इसे सरकारी दमन बताया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी आलोचना हुई। इसके बाद पूरे देश में ऐसा हिंसक माहौल बना कि शेख हसीना को सुरक्षा कारणों से विद्रोही भीड़ और आंदोलन से बचने के लिए बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।
मानवता-विरोधी अपराधों के आरोप
कानूनी तौर पर शेख हसीना पर आरोप है कि उन्होंने 2024 के प्रदर्शनों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को अत्यधिक बल प्रयोग की अनुमति दी, जिसके कारण नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। ट्रिब्यूनल में दायर चार्जशीट में कई गंभीर आरोप शामिल हैं, गैर-हथियारबंद प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश, हिरासत में लिए गए लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार, सरकारी संस्थानों का दमन के लिए दुरुपयोग और विपक्षी नेताओं की कथित गैरकानूनी गिरफ्तारी। इन आरोपों पर महीनों चली सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया जा रहा है।
हसीना समर्थक और विरोधी, दोनों में बेचैनी
फैसले से पहले वातावरण तनावपूर्ण है। हसीना समर्थक अवामी लीग के कार्यकर्ताओं में चिंताएं बढ़ रही हैं कि फैसले से पार्टी की साख को गहरा झटका लग सकता है। उनका मानना है कि इस मामले का राजनीतिकरण किया गया है और हसीना को निशाना बनाया गया है। वहीं दूसरी ओर, कट्टरपंथी और विपक्षी दल फैसले का इंतजार इस उम्मीद में कर रहे हैं कि अदालत हसीना को कठोर सजा सुनाएगी, जिससे उनके अनुसार “सरकारी दमन का अंत” हो सके। हालांकि, कानून विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बड़े राजनीतिक चेहरे के खिलाफ ऐसा फैसला बांग्लादेश में नई राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा कर सकता है।
क्षेत्रीय राजनीति पर असर
शेख हसीना लंबे समय तक दक्षिण एशिया की प्रभावशाली नेताओं में शामिल रहीं। उनका भारत से भी घनिष्ठ संबंध रहा है। भारत में शरण लेने के बाद कई देशों ने स्थिति पर नजर रखी। अगर ट्रिब्यूनल का फैसला उनके खिलाफ आता है, तो यह दक्षिण एशिया की भू-राजनीति पर भी असर डाल सकता है। भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों के लिए बांग्लादेश रणनीतिक रूप से अहम है, इसलिए वे भी इस फैसले के बाद की परिस्थितियों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।
फैसले के बाद क्या?
अगर अदालत हसीना को दोषी ठहराती है, तो बांग्लादेश में नए राजनीतिक समीकरण उभर सकते हैं। इससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ सकता है। अगर फैसला हसीना के पक्ष में जाता है, तो भी देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने की आशंका है, क्योंकि कट्टरपंथी समूह इस निर्णय को स्वीकार न करें। फिलहाल, पूरे बांग्लादेश में एक ही सवाल गूंज रहा है, क्या आज की सुनवाई देश के भविष्य की नई दिशा तय करेगी?
