महू .पुलिस ने 25 वर्षों से फरार चल रहे ठगी के आरोपी हमूद सिद्दकी को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। वह अल फलाह यूनिवर्सिटी, हरियाणा के चेयरमैन जवाद सिद्दकी का भाई है और वर्ष 2000 में महू में बड़े वित्तीय घोटाले के मामले में वांछित था। पुलिस की यह कार्रवाई उस समय तेजी से आगे बढ़ी जब दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच के दौरान जवाद सिद्दकी का नाम चर्चा में आया और एजेंसियों ने उसके पारिवारिक रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए।
दिल्ली ब्लास्ट कनेक्शन से खुला पुराना मामला
दिल्ली में हुए धमाकों के मुख्य आरोपितडॉ. उमर नबी के अल फलाह यूनिवर्सिटी का छात्र होने की पुष्टि के बाद जांच एजेंसियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी नजरें टिकाईं। इस प्रक्रिया में जवाद सिद्दकी के महू निवासी होने की जानकारी मिलने पर स्थानीय पुलिस ने उसके पुराने मामलों की जांच की। यहीं से यह खुलासा हुआ कि उसका भाई हमूद सिद्दकी वर्ष 2000 से महू में दर्ज गंभीर ठगी के मामले में फरार है।
पुलिस ने जवाद सिद्दकी को रविवार को महू न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसके साथ ही हमूद सिद्दकी की गिरफ्तारी के प्रयास तेज किए गए और उसी रात हैदराबाद से उसकी गिरफ्तारी संभव हो सकी।
2000 में खोला था निजी बैंक जैसा संस्थान किए लाखों के घोटाले
पुलिस के अनुसार हमूद सिद्दकी ने वर्ष 2000 में महू में एक ऐसा संस्थान चालू किया था जिसे वह निजी बैंक की तरह संचालित करता था। उसके संस्थान का उद्देश्य लोगों को निवेश कराकर पैसा दोगुना करने का लालच देना था। कई लोगों ने उसके मीठे वादों और आकर्षक रिटर्न की गारंटी पर भरोसा कर बड़ी रकम जमा करवाई।
उसका मुख्य लक्ष्य सेना से रिटायर्ड जवान, एमईएस विभाग के कर्मचारी, और स्थायी आय वाले लोग थे। विश्वसनीयता बनाने के लिए वह एक संगठित ढांचे की तरह काम करता था ताकि लोगों को लगे कि यह एक कानूनी और सुरक्षित वित्तीय संस्था है।
कुछ महीनों तक वह योजनाबद्ध तरीके से लोगों का पैसा जमा करता रहा लेकिन बाद में जब रिटर्न की मांग बढ़ने लगी तो संस्था का सच धीरे–धीरे सामने आने लगा। पीड़ितों ने पुलिस में शिकायत की और घोटाले का खुलासा होते ही हमूद अपने पूरे परिवार सहित महू से फरार हो गया।
25 वर्षों का लंबा फरार नकली पहचान के साथ हैदराबाद में सक्रिय
पुलिस जांच में सामने आए विवरण चौंकाने वाले हैं। फरारी के इन 25 वर्षों में हमूद ने हैदराबाद को अपना ठिकाना बनाया और नकली नाम से शेयर ट्रेडिंग का बिजनेस करने लगा। वह बेहद सावधानी से अपनी असली पहचान छिपाकर जीवन जी रहा था।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसके पास उन लोगों की पूरी श्रृंखला है जिनसे वह फरारी के दौरान संपर्क में रहा। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि वह न सिर्फ शेयर मार्केट में सक्रिय था बल्कि कई आर्थिक गतिविधियों में भी संलिप्त हो सकता है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या वह किसी अन्य आपराधिक नेटवर्क से भी जुड़ा था।
पुलिस की कार्रवाई कैसे पहुंची हमूद तक?
दिल्ली ब्लास्ट की जांच के बाद जब केंद्रीय एजेंसियों ने जवाद सिद्दकी से पूछताछ शुरू की, उसी दौरान उसके पारिवारिक दस्तावेज स्थानीय पुलिस को भेजे गए। महू पुलिस ने पुराने रिकॉर्ड खंगाले जिससे हमूद के खिलाफ दर्ज ठगी का लंबित मामला फिर सक्रिय हो गया।
इसके बाद साइबर और तकनीकी सर्विलांस की मदद से पुलिस ने हमूद की संभावित लोकेशन का पता लगाया। पुलिस टीम ने हैदराबाद में छापा मारकर उसे गिरफ्तार किया और महू लाया गया जहां उससे लगातार पूछताछ जारी है।
अब पुलिस किन बिंदुओं पर कर रही जांच?
महू पुलिस अब कई दिशाओं में जांच कर रही है
-हमूद सिद्दकी फरारी के दौरान किन–किन लोगों के संपर्क में रहा
-क्या उसका किसी बड़े वित्तीय या आपराधिक नेटवर्क से संबंध था
-क्या उसने हैदराबाद में भी किसी प्रकार की ठगी या अवैध गतिविधि की
-महू में जिन लोगों से उसने लाखों रुपये लिए थे, उनकी पूरी सूची तैयार कर क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ाई जाए
पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फरारी के दौरान उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए किस प्रकार के दस्तावेज इस्तेमाल किए।
25 वर्षों बाद गिरफ्तारी–पीड़ितों में उम्मीद
हमूद की गिरफ्तारी से महू में उन सैकड़ों पीड़ितों में उम्मीद जगी है जिन्होंने दो दशक पहले अपनी जमा पूंजी उसे देकर खो दी थी। कई परिवार अब भी आर्थिक रूप से उससे हुए नुकसान से उबर नहीं पाए हैं।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी और पूरी जांच में पारदर्शिता रखी जाएगी।
