रायपुर। बीजापुर जिले में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद नौ मरीजों की आंखों में हुए संक्रमण मामले की जांच पूरी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि ऑपरेशन के दौरान स्टरलाइजेशन प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ साथ ही ऑपरेशन के बाद मरीजों में जागरूकता और स्वच्छता की कमी भी संक्रमण का एक महत्वपूर्ण कारण बनी।
यह मामला उस समय सामने आया था जब 24 अक्टूबर को बीजापुर में14 मरीजों की आंखों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इसके कुछ दिनों बाद दो मरीजों को आंखों में गंभीर जलन और धुंधलापन की शिकायत होने लगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे फॉलोअप के दौरान जब दोनों की जांच की गई तो संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके बाद विभाग तुरंत सक्रिय हुआ और बाकी सभी मरीजों को अस्पताल बुलाया गया।
जांच के दौरान पता चला कि कुल 9 मरीजों को आंखों में गंभीर संक्रमण हो चुका है। तुरंत सभी को प्राथमिक उपचार दिया गया और हालत बिगड़ने की आशंका देखते हुए उन्हें 11 नवंबर की रात रायपुर के डॉ. आंबेडकर अस्पताल रेफर किया गया। यहां 12 नवंबर से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनके उपचार में लगी हुई है।
जांच समिति की रिपोर्ट स्टरलाइजेशन में चूक बड़ी वजह
जांच समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन थियेटर में स्टरलाइजेशन प्रोटोकॉल का कठोर पालन नहीं किया गया। समिति का मानना है कि उपकरणों की संक्रमण मुक्ति प्रक्रिया में कहीं न कहीं चूक हुई है, जिसके कारण ऑपरेशन के बाद बैक्टीरिया का विकास संभव हो सका।
स्वास्थ्य विभाग ने ऑपरेशन में उपयोग की गई दवाओं और सर्जिकल सामग्री के सैंपल भी जांच के लिए लैब भेजे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि दवाओं में खराबी की आशंका बेहद कम है।
दवाओं में खराबी की संभावना क्यों कम?
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि ऑपरेशन में इस्तेमाल दवाएं वही हैं जो प्रदेशभर में सप्लाई की जा रही हैं। यदि दवाओं में समस्या होती, तो संक्रमण के मामले पूरे प्रदेश में सामने आते। इसलिए दवाओं को संक्रमण का जड़ कारण मानना उचित नहीं होगा। यही कारण है कि जांच का मुख्य फोकस ऑपरेशन थियेटर के स्टरलाइजेशन सिस्टम पर रखा गया है।
मरीजों की जागरूकता भी बनी कारण
जांच में यह भी सामने आया कि कई मरीजों ने ऑपरेशन के बाद मिलने वाले निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया। मरीजों द्वारा आंखों को गंदे हाथों से छूना, दवाइयों का समय पर उपयोग न करना और धूल-मिट्टी से बचाव न करना संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है।
समिति का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण कई बार ऑपरेशन के बाद की सावधानियों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। इसलिए भविष्य में इस प्रकार के शिविरों में जागरूकता अभियान चलाने की सिफारिश की गई है।
स्वास्थ्य विभाग अलर्ट जिम्मेदारी तय करने की तैयारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किन कर्मचारियों अथवा अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों की सेहत खतरे में पड़ी।
विभाग यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि आगे ऐसे ऑपरेशन शिविरों में स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया और निगरानी को और सख्त किया जाए। साथ ही जिले के सभी अस्पतालों व समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों को भी नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
उपचार जारी हालत पर निगरानी
डॉ. आंबेडकर अस्पताल में भर्ती नौ मरीजों का इलाज विशेषज्ञ नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम कर रही है। डॉक्टर लगातार मरीजों की आंखों की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मरीजों को इलाज के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएं।
