दिल्ली एनसीआर । देश के सबसे बड़े रियल एस्टेट बाजारों में से एक माना जाता है और यहां प्रॉपर्टी को लेकर डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर कमर्शियल सेक्टर में कंपनियों की बढ़ती जरूरतों ने बाजार में एक नई हलचल पैदा कर दी है। हाल ही में CII और CBRE की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके अनुसार अगले दो सालों में दिल्ली एनसीआर में लगभग 50 लाख स्क्वायर फीट नए ग्रेड ए प्रोजेक्ट्स की सप्लाई देखने को मिल सकती है। यह बढ़ोतरी न सिर्फ कारोबार जगत के लिए राहत भरी खबर है बल्कि पूरे रियल एस्टेट सेक्टर में एक नए बूम का संकेत भी देती है।
ग्रेड ए प्रोजेक्ट्स की मांग हमेशा से अधिक रही है क्योंकि इस कैटेगरी में वही बिल्डिंग आती हैं जो नामी डेवलपर्स द्वारा उच्च गुणवत्ता और आधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार की जाती हैं। इन प्रोजेक्ट्स में बेहतर लोकेशन और शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर मिलता है जिससे कंपनियों को बेहतर माहौल और लंबे समय के लिए स्थिरता मिलती है। पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली एनसीआर में इस प्रकार की कमर्शियल संपत्तियों की कमी महसूस की जा रही थी इसलिए आने वाली नई सप्लाई पूरे कारोबारी माहौल के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
दिल्ली एनसीआर का इंफ्रास्ट्रक्चर भी लगातार बदल रहा है और यही वजह है कि कंपनियों और निवेशकों की सोच भी तेजी से बदल रही है। द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण अंतिम चरण में है और दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पर तेजी से काम चल रहा है। नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण शुरू हो चुका है और RRTS जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। साथ ही पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और कई नए मेट्रो रूट भी शहर को आपस में जोड़ रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स की वजह से लोगों की आवाजाही पहले से कहीं आसान होती जा रही है। अब कंपनियां उन इलाकों की ओर भी आकर्षित हो रही हैं जहां पहले पहुंचना मुश्किल होता था लेकिन अब आसान कनेक्टिविटी ने विस्तार की नई संभावनाएं पैदा कर दी हैं।
कारपोरेट सेक्टर में प्रीमियम वर्कस्पेस की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है। कुशमैन एंड वेकफील्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई से सितंबर अवधि के दौरान दिल्ली एनसीआर में ऑफिस स्पेस की लीज में भारी उछाल दर्ज किया गया। आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में कुल 3.79 मिलियन स्क्वायर फीट ऑफिस स्पेस लीज पर दिया गया जो पिछले साल इसी अवधि में 1.52 मिलियन स्क्वायर फीट था। यानी लीजिंग गतिविधि लगभग दो दशमलव पांच गुना बढ़ी। इससे यह साफ है कि कंपनियां बड़े और आधुनिक ऑफिस स्पेस की तरफ तेजी से बढ़ रही हैं और ग्रेड ए भवनों की मांग आने वाले समय में और अधिक बढ़ने वाली है।
देश के आठ बड़े शहरों में तीसरी तिमाही के दौरान जितना ऑफिस स्पेस लीज किया गया उसकी कुल हिस्सेदारी में दिल्ली एनसीआर का योगदान तेईस प्रतिशत रहा। यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में बिजनेस एक्टिविटी लगातार मजबूत हो रही है और कंपनियों को यहां विस्तार की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। दिल्ली एनसीआर में बेहतर कनेक्टिविटी के कारण अब कंपनियां दूर दराज के इलाकों में भी कार्यस्थल स्थापित करने की सोच रही हैं क्योंकि वहां से प्रतिभाशाली कर्मचारियों तक पहुंच आसान होती जा रही है।
बदलते दौर में रियल एस्टेट की जरूरतें भी बदल रही हैं और कंपनियां अब प्रीमियम इमारतों में ही अपने कार्यालय बनाना चाहती हैं। आधुनिक सुविधाएं सुरक्षा उन्नत डिजाइन और हरित तकनीकें अब किसी भी ऑफिस स्पेस के लिए आवश्यक हो गई हैं। यही वजह है कि ग्रेड ए प्रोजेक्ट्स की मांग पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। आने वाले दो सालों में जो नई सप्लाई बाजार में आने वाली है वह न सिर्फ कंपनियों के लिए राहत भरी होगी बल्कि इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे और शहर के विकास में तेजी आएगी।
कुल मिलाकर दिल्ली एनसीआर का कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है और आगामी वर्षों में यहां कारोबारियों को पहले से कहीं अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय इस क्षेत्र के लिए गोल्डन फेज साबित हो सकता है।
