नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया तेज़ हो गई है, दिल्ली से पटना तक लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है, इस दौरान स्पीकर और मंत्रियों के नामों पर चर्चा हो रही है और जल्द ही गठबंधन अपनी सरकार का गठन करेगा, हालांकि इस बीच बीजेपी और जेडीयू के बीच विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर तनातनी की खबरें सामने आई हैं, दोनों पार्टियां इस महत्वपूर्ण पद पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बातचीत कर रही हैं, जिससे सरकार गठन की प्रक्रिया में नया मोड़ आ सकता है, राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं
बीजेपी और जेडीयू दोनों ही स्पीकर पद पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं, इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जेडीयू नेता संजय झा और ललन सिंह दिल्ली पहुंचे हैं, इसके अलावा गृह विभाग और वित्त विभाग को लेकर भी दोनों दलों के बीच विवाद चल रहा है, हालांकि शपथ ग्रहण से पहले दिल्ली में इन मुद्दों को हल करने की कोशिशें जारी हैं, पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 20 नवंबर को भव्य शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे, विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद सत्ता संरचना को अंतिम रूप दिया जा चुका है, नई सरकार की रूपरेखा लगभग तय हो गई है, नीतीश कुमार की अगुवाई में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह ऐतिहासिक आयोजन बनने जा रहा है
सूत्रों के मुताबिक, एनडीए गठबंधन में मंत्रालयों के बंटवारे पर सहमति बन गई है, छह विधायकों के लिए एक मंत्री पद का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है, जिसके आधार पर सहयोगी दलों के कोटे का निर्धारण किया जा रहा है, जानकारी के अनुसार 20 नवंबर को नीतीश कुमार के साथ 20 मंत्री शपथ ग्रहण करेंगे और बाद में 14 और मंत्रियों की नियुक्ति की जाएगी, इस प्रकार नीतीश कुमार की सरकार में कुल 34 मंत्रियों को जगह मिल सकती है, बीजेपी के कोटे से 15 मंत्री, जेडीयू के कोटे से 14 (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित), एलजेपी (आर) के कोटे से तीन, हम के कोटे से एक और आरएलएम के कोटे से एक मंत्री नियुक्त किए जाएंगे, इस तरह सभी सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व मिलेगा
हालांकि, स्पीकर, गृह और वित्त विभाग को लेकर जेडीयू और बीजेपी के बीच खींचतान जारी है, अगर एलजेपी को डिप्टी सीएम पद मिलता है तो उसके पास दो मंत्री होंगे, शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 20 मंत्री शपथ ले सकते हैं, बाद में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा, शपथ के बाद 24 से 28 नवंबर तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है जिसमें नई सरकार सदन में बहुमत साबित करेगी, सरकार गठन की इस प्रक्रिया में राजनीतिक हलचल और मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर सभी दलों की रणनीतियां बेहद सक्रिय नजर आ रही हैं, एनडीए के भीतर सामंजस्य बनाए रखना और सहयोगी दलों को संतुष्ट करना नीतीश कुमार के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति है
इस बार सरकार गठन में न सिर्फ मंत्रालयों के बंटवारे बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों और विधानसभा अध्यक्ष पद की चर्चा भी महत्वपूर्ण मोड़ ले रही है, दिल्ली से पटना तक चल रही बैठकों में सभी दल अपने-अपने दावों को मजबूत कर रहे हैं, राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस बार शपथ ग्रहण समारोह केवल औपचारिकता नहीं बल्कि गठबंधन के भीतर संतुलन और शक्ति संतुलन का प्रदर्शन भी होगा, इसके अलावा मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों का चयन भी अगले पांच वर्षों की सरकारी नीतियों और कार्यपालिका की दिशा तय करेगा, एनडीए की नई सरकार की रूपरेखा तैयार हो चुकी है लेकिन शपथ ग्रहण से पहले इन अंतिम मसलों पर बातचीत और खींचतान जारी रहेगी, बिहार की राजनीतिक दुनिया अब इस ऐतिहासिक समारोह और उसके बाद के विशेष सत्र पर नजरें गढ़ाए हुए है
