नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर विकराल रूप ले चुका है और इससे पूरे चिकित्सा जगत में गहरी चिंता पैदा हो गई है। शहर की हवा इतनी दूषित और भारी हो चुकी है कि लोगों के लिए सामान्य तरीके से सांस लेना भी चुनौती बन गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक और पल्मोनरी मेडिसिन तथा स्लीप डिसऑर्डर विभाग के प्रमुख डॉक्टर अनंत मोहन ने मौजूदा हालात को सीधे सीधे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बताया है। उनके अनुसार हवा में मौजूद जहरीले कण अब सिर्फ फेफड़ों को नहीं बल्कि शरीर के लगभाग हर महत्वपूर्ण अंग पर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
बुधवार की सुबह पूरी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र धुंध की मोटी चादर में ढका हुआ नजर आया और यह दृश्य पिछले कई वर्षों की तरह इस साल भी प्रदूषण के गंभीर स्तर की चेतावनी दे रहा था। कई निगरानी केंद्रों ने वायु गुणवत्ता सूचकांक को गंभीर श्रेणी में दर्ज किया जिससे स्पष्ट होता है कि हवा में प्रदूषकों का स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो चुका है। वजीरपुर में ए क्यू आई 578 दर्ज किया गया जो सामान्य सीमा से कई गुना अधिक है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क फाइव में यह स्तर 553 रहा जबकि जहांगीरपुरी में 442 का आंकड़ा दर्ज हुआ। इसके अलावा चांदनी चौक अशोक विहार डी टी यू विवेक विहार सोनिया विहार मुंडका आनंद विहार रोहिणी आर के पुरम पंजाबी बाग नॉर्थ कैंपस और नेहरू नगर जैसे कई इलाकों में भी ए क्यू आई 400 से ऊपर पहुंच गया जो निवासियों के लिए अत्यंत घातक स्थिति है।
एम्स के डॉक्टर अनंत मोहन ने एक सेमिनार के दौरान कहा कि पिछले दस वर्षों से दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर पर बनी हुई है और हालात में जमीनी सुधार लगभग ना के बराबर दिखाई देता है। डॉक्टर मोहन के अनुसार यह प्रदूषण न केवल श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है बल्कि दिल किडनी और दिमाग जैसी महत्वपूर्ण प्रणालियों तक को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग और आपातकालीन कक्षों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और कई मामलों में मरीजों को वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण और जहरीली गैसें लोगों के जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
इस बीच विशेषज्ञों ने यह भी साफ कर दिया है कि मास्क पहनना या एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना स्थायी समाधान नहीं है। डॉक्टर मोहन का कहना है कि मास्क केवल सीमित सुरक्षा प्रदान करते हैं और जब प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो जाए तो उनका असर लगभग खत्म हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग जितना हो सके घरों के भीतर रहें और बाहर जाने से बचें लेकिन यह केवल अस्थायी राहत है वास्तविक समाधान तभी मिलेगा जब प्रदूषण के मूल कारणों पर कठोर कदम उठाए जाएं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान जी आर ए पी तीन पहले से लागू है जिसके तहत निर्माण गतिविधियों पर रोक सड़क पर पानी का छिड़काव और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जांच जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा पर भी इसका प्रभाव पड़ा है और दिल्ली के स्कूलों ने प्राथमिक कक्षाओं को हाइब्रिड मोड यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के मिश्रण में स्थानांतरित कर दिया है ताकि बच्चे जहरीली हवा के सीधे संपर्क में कम आएं। भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि अगले 48 घंटों तक आसमान में धुंध की परत बनी रहेगी और इससे लोगों को तत्काल राहत मिलने की उम्मीद बेहद कम है।
दिल्ली की वर्तमान स्थिति हमें यह याद दिलाती है कि यदि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े और दीर्घकालिक कदम नहीं उठाए गए तो हर सर्दी में हवा इसी तरह जहर बनेगी और जन स्वास्थ्य पर इसका असर और भी खतरनाक होता जाएगा। अभी भी समय है कि सरकार और नागरिक मिलकर ऐसे उपायों को लागू करें जो आने वाले वर्षों में हवा को साफ और सुरक्षित बना सकें।
