नई दिल्ली मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने अपने रिटायरमेंट से पहले धर्म और आस्था पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं इसके अलावा उन्होंने खुलासा किया कि वे बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और अपने जीवन में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को अपनाते आए हैं
CJI गवई ने बताया कि उन्होंने यह दृष्टिकोण अपने पिता से सीखा जो स्वयं धर्मनिरपेक्ष थे और डॉ भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे उन्होंने कहा मैं बौद्ध धर्म का पालन करता हूं लेकिन किसी भी धर्म का बहुत गहराई से अध्ययन नहीं किया है मैं इस्लाम हिंदू बौद्ध सिख सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं और ये सब मैंने अपने पिता से सीखा यह बात उन्होंने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा उनके फेयरवेल कार्यक्रम में कही जो उनके रिटायरमेंट के अवसर पर आयोजित किया गया था
सीजेआई गवई ने बताया कि बचपन से ही उन्हें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया गया था उन्होंने कहा कि जब मेरे पिता राजनीतिक कार्यक्रमों में जाते थे और लोग उनसे कहते थे सर यहां चलो यहां बहुत प्रसिद्ध दरगाह है या यहां का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है तो उन्होंने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया यही माहौल मुझे बचपन में मिला और इसी ने मेरे दृष्टिकोण को आकार दिया उन्होंने अपने जीवन में यह सीख बनाए रखी और न्यायिक कार्यों में इसे अपनाया
सीजेआई बी आर गवई ने यह भी साझा किया कि 41 वर्षों की लंबी न्यायिक यात्रा के बाद वे 23 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर होंगे और जस्टिस सूर्यकांत को जिम्मेदारी सौंपेंगे उन्होंने जस्टिस सूर्यकांत के साथ अपने शुरुआती जीवन की समानताओं का भी जिक्र किया उन्होंने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के अमरावती के सेमी-स्लम इलाके के म्युनिसिपल स्कूल से पढ़ाई की जबकि जस्टिस सूर्यकांत हिसार के सरकारी स्कूल से पढ़े हैं इस अनुभव ने दोनों के दृष्टिकोण और न्यायिक समझ को प्रभावित किया है
देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं उन्होंने 14 मई को यह जिम्मेदारी संभाली थी और उनका कार्यकाल लगभग छह महीने छह दिन का रहा इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में साढ़े छह वर्षों से न्यायिक सेवा में थे उनके योगदान और निर्णयों ने न्यायपालिका में स्थायी प्रभाव छोड़ा है
जस्टिस बी आर गवई के रिटायर होने के बाद जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज होने के नाते 24 नवंबर से मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे सीजेआई गवई ने ही उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा और वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे इस समय जस्टिस सूर्यकांत 62 वर्ष के हैं और रिटायरमेंट के एक दिन बाद 10 फरवरी को 65 वर्ष के हो जाएंगे
सीजेआई गवई का रिटायरमेंट समारोह न्यायपालिका और कानूनी जगत के लिए भावनात्मक क्षण रहा उनके विचार और जीवन दृष्टिकोण ने न्यायपालिका में धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के सम्मान की भावना को मजबूत किया है उनके फेयरवेल समारोह में उपस्थित अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों ने उन्हें उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी और उनके अनुभव से प्रेरित होने की बात कही
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने अपने रिटायरमेंट से पहले न केवल न्यायपालिका के लिए अपनी सेवाओं का मूल्यांकन किया बल्कि समाज में धर्मनिरपेक्षता और बौद्ध धर्म के मूल्यों पर भी प्रकाश डाला यह दर्शाता है कि उन्होंने न्यायिक जीवन में अपनी व्यक्तिगत आस्थाओं और दृष्टिकोण को संतुलित रूप से बनाए रखा और अपने पद पर रहते हुए निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण पेश किया|
