नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का एक मॉड्यूल कश्मीर के अस्पतालों को हथियारों का ठिकाना Arms Depot बनाने की कोशिश कर रहा था। सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचने के लिए यह तरीका अपनाया जा रहा था जो गाजा में आतंकी संगठन हमास द्वारा नागरिक क्षेत्रों और अस्पतालों का उपयोग करने की रणनीति से मिलता-जुलता है।जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वेद ने बताया कि 1990 के दशक में भी आतंकियों ने ऐसा किया था लेकिन सेना और पुलिस ने उन्हें पूरी तरह खत्म कर दिया था। अब 30 साल बाद फिर से यह साजिश रची जा रही थी।
पाकिस्तान से भेजे गए 40 वीडियो
दिल्ली ब्लास्ट केस में जैश-ए-मोहम्मद का सीधा कनेक्शन सामने आया है।पाकिस्तान से जैश के हैंडलर हंजुल्ला ने दिल्ली धमाके के आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई को बम बनाने के 40 वीडियो भेजे थे।दोनों को मौलवी इरफान अहमद ने मिलवाया था जिसके बाद यह ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ तैयार किया गया जिसमें कई डॉक्टर्स शामिल थे।
आटा चक्की और लैब का इस्तेमाल
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी आतंकी गतिविधयों के लिए आम उपकरणों का इस्तेमाल करते थे।गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल ने फरीदाबाद के धौज गांव स्थित टैक्सी ड्राइवर के घर से बरामद आटा चक्की का इस्तेमाल यूरिया पीसने के लिए किया। फिर मेटल पिघलाने की मशीन से उसे रिफाइन कर विस्फोटक बनाया जाता था।विस्फोटक बनाने के लिए केमिकल अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चुराया गया था।मुजम्मिल के कमरे से 9 नवंबर को 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक जब्त किए गए थे।
मॉड्यूल में डॉक्टरों की भूमिका और मैडम सर्जन
जांच में शामिल डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. आदिल अहमद राथर और मारा गया आतंकी डॉ. उमर नबी इस मॉड्यूल की अहम कड़ी थे।डॉ. मुजम्मिल अस्पताल आए मरीजों और कर्मचारियों के घर मदद के बहाने जाकर लोगों को आतंक के नेटवर्क में भर्ती करता था। डॉ. शाहीन सईद मैडम सर्जन आर्थिक मदद कर ब्रेनवॉश करती थी। वह लेडी आतंकियों की टीम बनाने की भी साजिश रच रही थी।अल फलाह यूनिवर्सिटीसाजिश का केंद्र बनी हुई है। NIA, ED, दिल्ली और हरियाणा पुलिस के बाद अब पंजाब पुलिस भी यहाँ जांच कर रही है।
उपराज्यपाल ने दिया निर्देश
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इन धमाकों के बाद एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया हैअमोनियम नाइट्रेट रिकॉर्ड एक तय लिमिट से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट खरीदने और बेचने वाली कंपनियों का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाए, जिसमें खरीदने और बेचने वालों की फोटो समेत जरूरी डिटेल्स हों।फिलहाल NIA इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने और सप्लाई चेन का पता लगाने में जुटी है।
