पटना। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी नई एनडीए सरकार का मंत्रिमंडल अभी पूरी तरह विस्तृत नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कुल 26 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है जबकि विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल में कुल 35 सदस्यों तक की अनुमति है। इस हिसाब से फिलहाल नौ मंत्री पद खाली हैं जिन पर एनडीए के भीतर लगातार मंथन जारी है। एनडीए गठबंधन के 202 विधायकों में से सिर्फ 22 को ही अब तक मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। इनमें जदयू, भाजपा और अन्य सहयोगी दलों के विधायक शामिल हैं जबकि चार मंत्री विधान परिषद के सदस्य हैं। वहीं एनडीए घटक दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा रालोमो से दीपक प्रकाश को भी मंत्री बनाया गया है हालांकि वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उन्हें जल्द ही एमएलसी बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इन सभी नियुक्तियों के बाद भी करीब 180 विधायक और कुछ विधान पार्षद कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में मंत्री पद न मिल पाने वाले कई विधायक उम्मीद लगाए हुए हैं कि आगामी विस्तार में उन्हें मौका मिल सकता है। हालांकि अभी तक एनडीए या जदयू की ओर से कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई तिथि घोषित नहीं की गई है। जदयू इस समय विशेष रूप से अतिथि विधायकों को लेकर प्रतीक्षा कर रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कुछ निर्दलीय या अन्य दलों के विधायक जदयू का समर्थन करने या पार्टी में शामिल होने को तैयार हैं। यदि ऐसा होता है, तो जदयू की राजनीतिक स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी जिससे मंत्रिमंडल विस्तार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना रहेगी।
नीतीश कुमार की नई सरकार में सत्ता संतुलन बनाए रखना बड़ी चुनौती माना जा रहा है। भाजपा और जदयू दोनों ही दल अपने-अपने विधायकों को संतुष्ट करने के लिए रणनीति बना रहे हैं ताकि गठबंधन में किसी तरह की नाराज़गी न उत्पन्न हो। भाजपा के कई विधायक भी उम्मीद में बैठे हैं कि जल्द ही विस्तार होगा और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिमंडल विस्तार में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते। पार्टी और गठबंधन के भीतर समीकरणों को संतुलित रखने के लिए सभी संभावनाओं पर शांतिपूर्वक विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही आने वाले महीनों में राजनीतिक परिस्थितियों में संभावित बदलावों को देखते हुए भी कैबिनेट विस्तार फिलहाल टाल कर रखा गया है। कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति इन खाली नौ मंत्री पदों को लेकर बेहद सक्रिय है। सभी दलों के विधायक कयास और उम्मीदों में हैं जबकि जदयू को अतिथि विधायकों के आने की प्रतीक्षा है, जो आने वाले समय में राजनीतिक समीकरणों को नई दिशा दे सकते हैं।
