नई दिल्ली । राज्य सरकार ने प्रदेश में बढ़ रहे आवारा कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने सात विभागों को मिलकर एक समन्वित अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके तहत पंचायत व ग्रामीण विकास लोकनिर्माण स्कूल शिक्षा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण उच्च एवं तकनीकी शिक्षा नगरीय प्रशासन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और पशुधन विकास विभाग को अलग अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। यह कदम आवारा कुत्तों के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को गंभीरता से हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
आवारा कुत्तों के आतंक ने प्रदेश में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। कई जगहों पर इन कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि सार्वजनिक स्थानों पर इनकी मौजूदगी खतरनाक हो गई है। खासतौर पर स्कूलों अस्पतालों बस स्टैंडों रेलवे स्टेशनों और खेल मैदानों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों का घूमना आम बात हो गई है। इन कुत्तों के हमले से लोगों की जान और संपत्ति को खतरा हो रहा है जबकि बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा कुत्तों द्वारा फैलने वाली बीमारियां भी समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं।
राज्य सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक विभाग को एक स्पष्ट भूमिका सौंपने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थिति की गंभीरता को समझते हुए लिया गया है। सात विभागों को जिम्मेदारी सौंपने से यह सुनिश्चित होगा कि अभियान समन्वित तरीके से चले और हर विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाए। इन विभागों को एक सप्ताह के भीतर उन सार्वजनिक स्थलों की पहचान करने के लिए कहा गया है जहां आवारा कुत्तों की अंधाधुंध आवाजाही होती है।
इस अभियान के तहत सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों की घुसपैठ को रोकने के लिए जरूरी संरचनात्मक बदलाव किए जाएंगे। इनमें गेट फेंसिंग और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाओं को लागू किया जाएगा ताकि कुत्तों का प्रवेश नियंत्रित हो सके। इसके अलावा हर संस्थान में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो अभियान की निगरानी करेगा और संबंधित विभागों को रिपोर्ट करेगा। यह अधिकारी अभियान के कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि अभियान समयबद्ध तरीके से चले। सरकार के इस कदम से न केवल आवारा कुत्तों के आतंक पर नियंत्रण पाया जा सकेगा बल्कि इससे सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। साथ ही यह अभियान राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा सफाई और स्वच्छता के दृष्टिकोण से भी एक अहम कदम है।
इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए हर विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। जैसे स्वास्थ्य विभाग को अस्पतालों और अन्य चिकित्सा केंद्रों में आवारा कुत्तों के प्रवेश पर रोक लगाने की जिम्मेदारी दी गई है जबकि शिक्षा विभाग को स्कूलों में कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। संक्षेप में राज्य सरकार ने सात विभागों के संयुक्त प्रयासों से आवारा कुत्तों के आतंक पर काबू पाने के लिए एक प्रभावी योजना बनाई है। इस अभियान के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन से प्रदेश में सार्वजनिक स्थलों पर कुत्तों के आतंक को नियंत्रित किया जा सकेगा और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
