नई दिल्ली। हर माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित और उज्जवल बने। इसके लिए सही निवेश का चुनाव बेहद अहम कदम है क्योंकि आने वाले समय में बच्चों की उच्च शिक्षा और शादी जैसे बड़े लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मजबूत आर्थिक तैयारी जरूरी होती है। लंबे समय के निवेश विकल्पों की बात करें तो सोना और SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान दो ऐसे विकल्प हैं जिन पर लोग सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। सोना हमेशा से मूल्य संरक्षण और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक माना जाता रहा है जबकि SIP लंबे समय में बेहतरीन रिटर्न देकर करोड़ों निवेशकों की पहली पसंद बन चुका है। अक्सर माता पिता यह सोचकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि बच्चों के लिए बड़ा फंड बनाने में किस विकल्प की गति ज्यादा तेज है। चलिए जानते हैं कि 15 साल की अवधि में सोना और SIP में से कौन सा निवेश आपके बच्चों का भविष्य अधिक सुरक्षित और मजबूत बना सकता है।
कौन देता है तेज रिटर्न और किसका है लंबी दौड़ में दबदबा
निवेश की दुनिया में असली खेल रिटर्न और कंपाउंडिंग का होता है। बच्चों की शिक्षा या शादी के लिए फंड तैयार करने में इन दोनों का रोल बेहद महत्वपूर्ण है। यदि हम दोनों निवेश विकल्पों की तुलना करें तो स्पष्ट दिखता है कि SIP लंबे समय में सोने से काफी आगे निकल जाता है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में SIP आम तौर पर 12 से 15 प्रतिशत तक का औसत वार्षिक रिटर्न देता है। चक्रवृद्धि ब्याज का जादू इस रिटर्न को कई गुना बढ़ा देता है जिससे छोटी रकम भी लंबी अवधि में बहुत बड़ी बन जाती है। वहीं दूसरी ओर सोना 8 से 10 प्रतिशत तक का रिटर्न देता है जो स्थिर तो है लेकिन SIP की तुलना में धीमा साबित होता है।
SIP क्यों है बच्चों के भविष्य के लिए सबसे मजबूत विकल्प
विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि यदि आपका निवेश 10 से 15 साल या इससे अधिक समय के लिए है तो SIP बेहतरीन साबित होता है। SIP की सबसे बड़ी खूबी यह है कि निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा ले सकता है। जब बाजार गिरता है तो उतनी ही राशि में अधिक यूनिट मिलते हैं और जब बाजार बढ़ता है तो यूनिट की वैल्यू तेजी से बढ़ती है।
लंबी अवधि में उच्च रिटर्न दर कंपाउंडिंग की शक्ति और अनुशासित निवेश की वजह से SIP बच्चों की शिक्षा और शादी जैसे भविष्य के बड़े लक्ष्यों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बड़ी फीस बड़ी पढ़ाई और शादी के बढ़ते खर्चों को देखते हुए केवल SIP ही ऐसा विकल्प है जो अपेक्षाकृत कम निवेश के बावजूद बड़ा फंड बनाने में मदद करता है।
गोल्ड भी जरूरी है लेकिन क्यों
गोल्ड निवेशकों के पोर्टफोलियो में एक सुरक्षित दीवार की तरह काम करता है। यह रिटर्न भले ही SIP जितना नहीं देता लेकिन जब भी बाजार में बड़ी गिरावट आती है सोना अक्सर ऊपर चला जाता है। इसी वजह से इसे सुरक्षित एसेट माना जाता है। इसकी दूसरी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है यानी इसमें लिक्विडिटी की कोई समस्या नहीं होती।
इसके अलावा सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने पर सोने की कीमत बढ़ने के साथ साथ हर साल ढाई प्रतिशत तक का अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है जिससे रिटर्न और बेहतर हो जाता है।
बच्चों का भविष्य संवारने का सबसे स्मार्ट फॉर्मूला
केवल एक ही निवेश विकल्प पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए विशेषज्ञों की राय है कि सबसे अच्छा तरीका है 80 से 20 का बैलेंस। इसमें 80 प्रतिशत निवेश SIP में किया जाता है ताकि उच्च रिटर्न और कंपाउंडिंग की मदद से फंड तेजी से बढ़े। इंडेक्स फंड और डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड इसके लिए बेहतरीन विकल्प माने जाते हैं। बाकी 20 प्रतिशत निवेश सोने में किया जाता है ताकि पोर्टफोलियो को बाजार के बड़े उतार चढ़ाव और गिरावट से सुरक्षा मिल सके। इस तरह SIP की ग्रोथ और गोल्ड की सुरक्षा दोनों मिलकर बच्चों के भविष्य के लिए एक मजबूत आर्थिक ढाल तैयार करते हैं। अंत में बच्चों के लिए फंड तैयार करने की सबसे प्रभावी रणनीति यही है कि समझदारी से दोनों निवेश विकल्पों को संतुलित किया जाए। सही प्लानिंग और लंबे समय तक धैर्य रखकर किया गया निवेश ही आने वाले समय में बच्चों के सपनों को हकीकत में बदलने का सबसे मजबूत आधार बन सकता है।
