नई दिल्ली। भारत और अफगानिस्तान के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को नई दिशा देने के उद्देश्य से अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल-हाज नूरुद्दीन अजीजी इन दिनों भारत के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। यह यात्रा इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि तालिबान सरकार के किसी उच्च-स्तरीय मंत्री की भारत यात्रा बेहद कम होती है। ऐसे में यह दौरा दोनों देशों के बीच जमते नए समीकरणों का संकेत दे रहा है।
अजीजी ने दिल्ली पहुंचने के बाद सबसे पहले भारत के स्पाइसेज बोर्ड के अधिकारियों और मसाला उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों से विस्तृत बातचीत की। बैठक में भारत और अफगानिस्तान के बीच मसाला व्यापार को बढ़ाने, उन्नत उत्पादन तकनीक को साझा करने और संयुक्त निवेश मॉडल खड़े करने पर जोर दिया गया। अफगान मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि भारतीय पक्ष अफगानिस्तान में मसाला उत्पादन इकाइयां लगाने को लेकर दिलचस्पी रखता है। यह न केवल अफगान किसानों के लिए नए अवसर खोलेगा, बल्कि भारत को मसालों की नई सप्लाई चेन उपलब्ध कराएगा।
बैठक के दौरान दवाइयों के आयात-निर्यात से जुड़े मुद्दों पर भी गहराई से चर्चा की गई। अफगानिस्तान में गुणवत्ता वाली दवाइयों की कमी लंबे समय से चुनौती रही है। ऐसे में भारत की दवा कंपनियों के लिए वहां एक बड़ा बाजार बनने की संभावना है। अफगान मंत्रियों ने कहा कि भारत की लगभग 57 मानक और विश्वस्तरीय मसाला एवं दवा फैक्ट्रियां उनके उद्योग क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं।
अफगानिस्तान ने दिया भारतीय कंपनियों को समर्थन का भरोसा
अफगान वाणिज्य मंत्री अजीजी ने कहा कि अफगानिस्तान में काम करने वाली हर भारतीय दवा कंपनी को सरकार की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा, निवेश और लाइसेंसिंग को लेकर भी भारत के व्यापारिक प्रतिनिधियों को हर संभव सुविधा दी जाएगी। इसके साथ ही यह भी सहमति बनी कि अफगानिस्तान के मसाला विभाग के अधिकारी भारत आकर यहां की उन्नत फैक्ट्रियों का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल काबुल जाकर दवा यूनिट्स और मसाला उत्पादन इकाइयों की संभावनाओं का आकलन करेगा।
यह द्विपक्षीय आदान–प्रदान दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों में नई ऊर्जा भरने वाला कदम माना जा रहा है।
भारत के मंत्रियों से हुई अहम बैठकें
अजीजी का भारत दौरा केवल व्यापारिक बैठकों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने, निवेश बढ़ाने और संपर्क मजबूत करने पर चर्चा की। इसके अलावा अजीजी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात की, जिसमें कनेक्टिविटी, लोगों के बीच संबंध और आर्थिक सहयोग जैसे विषय प्रमुख रहे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकातें तालिबान सरकार के साथ भारत के बढ़ते संवाद की दिशा में एक बड़ा संकेत हैं। राजनीतिक परिस्थितियों में कई अड़चनों के बावजूद भारत अफगानिस्तान के साथ मानवीय और आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहता है।
IITF 2025 में अफगानिस्तान की दमदार उपस्थिति
अफगान वाणिज्य मंत्री ने इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) 2025 में भी हिस्सा लिया। यहां उन्होंने ITPO के प्रबंध निदेशक नीरज खेड़वाल से मुलाकात की और भविष्य की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अफगानिस्तान की भागीदारी को लेकर चर्चा की। अजीजी ने मेले में अफगान उत्पादों के स्टॉल का निरीक्षण किया तथा भारतीय कारोबारियों से अफगान ड्राई फ्रूट्स, कालीन, हर्बल उत्पादों और मसालों के बाजार विस्तार को लेकर बातचीत की।
उनका कहना था कि अफगानिस्तान के स्थानीय उत्पादों की भारत में बड़ी मांग है और दोनों देशों के व्यापारी मिलकर इसे और आगे बढ़ा सकते हैं।
पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच अफगानिस्तान का नया रुख
हाल के महीनों में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तनाव, व्यापारिक अवरोध और बंदिशों ने अफगान अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। बार-बार सीमा बंद होने से अफगानिस्तान ने अब भारत, ईरान और मध्य एशिया की ओर रुख बढ़ा दिया है। अफगान मंत्रालय ने कहा कि वे पाकिस्तान की निर्भरता कम करने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट का अधिक उपयोग कर रहे हैं ताकि व्यापार सुचारु रहे और राजनीतिक दबाव न बने।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे माहौल में भारत के साथ बढ़ता आर्थिक सहयोग तालिबान सरकार के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह न केवल पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाता है, बल्कि अफगानिस्तान को एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग भी प्रदान करता है।
