विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन मिथिला नगरी में राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह अयोध्या के राजकुमार श्रीराम से वैदिक रीति से संपन्न हुआ था। यह विवाह न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि आदर्श दांपत्य, मर्यादा, निष्ठा और धर्म का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने भी इसी दिन रामचरितमानस की रचना पूरी की थी, जिससे यह तिथि और भी अधिक महत्व रखती है।
विवाह पंचमी के दिन व्रत का महत्व
विवाह पंचमी के दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन में प्रेम, स्थिरता और सौहार्द बढ़ता है। विशेष रूप से यह व्रत कुंवारे युवक-युवतियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसके अलावा, इस दिन व्रत रखने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इस दिन की पूजा से जीवन में संतुलन और मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण को बढ़ावा देती है।
विवाह पंचमी के दिन शादी क्यों नहीं होती
हालांकि विवाह पंचमी एक विवाह का प्रतीक दिन है, फिर भी इस दिन परंपरागत रूप से विवाह का आयोजन नहीं किया जाता। इसका कारण यह है कि यह तिथि एक धार्मिक और आध्यात्मिक दिन है, जो राम और सीता के विवाह के पुण्य स्मरण के लिए होती है, न कि नए विवाहों के आयोजन के लिए। हिंदू समाज में यह मान्यता है कि इस दिन विवाह की बजाय पूजा और व्रत करने से अधिक लाभ मिलता है।
विवाह पंचमी 2025: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
विवाह पंचमी 2025 की तिथि 24 नवम्बर को शाम 9:22 बजे से आरंभ होगी और 25 नवम्बर को रात 10:56 बजे तक रहेगी। इस दिन पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय विशेष रूप से शुभ माना गया है, जो सुबह 4:20 बजे से 4:59 बजे तक रहेगा।
विवाह पंचमी पर पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ मन से पूजा स्थल पर जाएं। फिर पीले वस्त्रों से ढकी एक चौकी पर राम और सीता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल, फल, फूल, धूप, दीप और प्रसाद अर्पित करें। इसके साथ-साथ रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित विवाह प्रसंग का पाठ करें और दांपत्य जीवन में प्रेम और सुख-शांति की कामना करते हुए संकल्प लें।
विवाह पंचमी का संदेश
विवाह पंचमी का संदेश है प्रेम, समर्पण और पारिवारिक स्थिरता। यह तिथि भक्ति और आध्यात्मिक अनुशासन को जागृत करने का भी एक अवसर है। इस दिन से दांपत्य जीवन में सच्चे प्रेम, समर्पण और सम्मान को बढ़ावा मिलता है, जो कि किसी भी रिश्ते की मजबूती का आधार होता है।
इस दिन के व्रत और पूजा से हम न केवल भगवान राम और माता सीता के आदर्श दांपत्य का पालन करने का संकल्प लेते हैं, बल्कि अपने जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की कामना भी करते हैं।
विवाह पंचमी के दिन हमें प्रेम, सम्मान और भक्ति की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
