नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन किया गया व्रत न केवल सुख-समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस वर्ष, मोक्षदा एकादशी 2025 को लेकर भक्तों में असमंजस की स्थिति देखी जा रही है। उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, व्रत का सही समय उदय तिथि सूर्य के अनुसार को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी 2025: तिथि और पारण
आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार इस वर्ष मोक्षदा एकादशी की तिथि इस प्रकार है:
एकादशी तिथि आरंभ: 30 नवंबर 2025, रात 9 बजकर 29 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2025, शाम 7 बजकर 01 मिनट
व्रत का दिन: 1 दिसंबर 2025 सोमवार उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए व्रत 1 दिसंबर को रखा जाएगा। पारण का समय अगले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है। पारण से पहले किसी ब्राह्मण को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
मोक्षदा एकादशी व्रत में ये काम न करें
मोक्षदा एकादशी का व्रत पूर्ण फल देने के लिए नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं: एकादशी से पूर्व की रात 30 नवंबर की शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन न करें।व्रत के दौरान मन को शांत रखें और किसी के प्रति क्रोध, द्वेष या नकारात्मक भावना न रखें। इस दिन किसी की निंदा करना वर्जित है। मोक्षदा एकादशी के दिन अनाज का सेवन पूर्णतया वर्जित है विशेष रूप से चावल का सेवन न करें। यदि व्रत न कर पाएं तो भी कम से कम चावल बिल्कुल न खाएं।
मोक्ष और समृद्धि के लिए मंत्र
मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं
भगवान धन्वंतरि स्वास्थ्य मंत्र
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्॥
भगवान विष्णु का ध्यान मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
कुबेर धन मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
व्रत का पारण
व्रत का पारण अगले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में किया जाता है। पारण से पूर्व किसी ब्राह्मण को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।मोक्षदा एकादशी का यह दिन धार्मिक आस्था, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। भक्तों के लिए यह अवसर केवल व्रत रखने का नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म में शुद्धता लाने का भी अवसर है। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना, नियम पालन और मंत्र जाप से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और शांति भी बनी रहती है।
