नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार अंदरूनी कलह से जूझ रही है, और इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भाजपा भी अपनी रणनीति पर सावधानी से आगे बढ़ रही है। राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक रमेश जिरकिहोली ने सोमवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि भाजपा को इस परिस्थिति में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और कांग्रेस सरकार को अपने आंतरिक मसलों से खुद निपटने देनाचाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा-कांग्रेस के पास जनता का जनादेश है उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने दिया जाना चाहिए। बार-बार चुनाव राज्य के हित में नहीं हैं।
जिरकिहोली की दो टूक: डीके शिवकुमार भाजपा में आए, तो मैं साथ नहीं रहूँगा।
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या कांग्रेस के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार पार्टी छोड़कर भाजपा का समर्थन कर सकते हैं, तो जिरकिहोली ने साफ कहा यह इस जीवन में संभव नहीं है। अगर शिवकुमार भाजपा में आते हैं तो मैं उन्हें अपना नेता स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। ऐसी स्थिति में मुझे दूसरी राजनीतिक दिशा पर विचार करना पड़ेगा। उनका यह बयान सियासी गलियारों में नई हलचल पैदा कर गया है, खासकर तब जब प्रदेश में शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच सत्ता संतुलन को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा है। जिरकिहोली ने आगे कहा कि शिवकुमार के पास कांग्रेस में वह संख्या बल नहीं है जिसके दम पर वे मुख्यमंत्री बन सकें। अगर उनके पास पर्याप्त समर्थन होता तो वे अब तक सीएम बन चुके होते।
शिवकुमार गुट दिल्ली में सक्रिय, आलाकमान से मिलने पहुंचे विधायक
राजनीतिक हलचल को और तेज करते हुए, डीके शिवकुमार के समर्थन में खड़े विधायकों का एक जत्था रविवार रात दिल्ली पहुँचा। सूत्रों के अनुसार- कम से कम 6 विधायक राष्ट्रीय राजधानी पहुंच चुके हैं। कुछ और विधायकों के जल्द दिल्ली आने की संभावना जताई जा रही है।कहा जा रहा है कि ये विधायक कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात कर शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग रखने वाले हैं।
कांग्रेस में पावर शेयरिंग को लेकर भ्रम?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिरकिहोली ने दावा किया कि कांग्रेस में पावर शेयरिंग और पद विभाजन को लेकर भारी भ्रम है।
उन्होंने कहा कि कुछ नेता मुख्यमंत्री को हटाने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के भीतर रणनीति को लेकर स्पष्टता नहीं है। इस पूरी हलचल को भाजपा को दूर से देखना चाहिए और इसमें हस्तक्षेप से बचना चाहिए। उनका सुझाव है कि भाजपा को अगले चुनावों तक इंतजार करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस की आंतरिक कलह और जन विरोधी नीतियों के कारण जनता का मूड भाजपा की तरफ झुक सकता है।
सिद्धारमैया का बयान:आलाकमान जो कहेगा, वही मानूँगा
इधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मीडिया से कहा-
मैं आलाकमान के निर्णय का पालन करूंगा। अगर पार्टी कहती है कि मुझे पद पर बने रहना चाहिए, तो मैं रहूँगा। अगर बदलाव होगा तो मैं उसे भी स्वीकार करूंगा-और शिवकुमार को भी पार्टी फैसले का सम्मान करना चाहिए।सिद्धारमैया का यह बयान संकेत देता है कि कांग्रेस आलाकमान भी दोनों दिग्गज नेताओं के बीच बढ़ते तनाव को लेकर सक्रिय है।
भाजपा की रणनीति: दूर बैठकर देखना ही सही?
कर्नाटक की राजनीति इन दिनों तेज बुखार में चल रही है। कांग्रेस के भीतर मचा घमासान भाजपा के लिए संभावित राजनीतिक अवसर बन सकता है, लेकिन जिरकिहोली का संदेश साफ है हड़बड़ी का कोई फायदा नहीं। जनता खुद कांग्रेस को सबक सिखाएगी।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई लंबे समय तक जारी रही, तो आगामी चुनावों में इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है।
