नई दिल्ली। भारतीय थलसेना में सैनिकों की कमी लगातार गंभीर होती जा रही है। वर्तमान समय में लगभग एक लाख अस्सी हजार जवानों की कमी बताई जा रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए सेना अब भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। जानकारी के अनुसार, थलसेना हर वर्ष अग्निपथ योजना के तहत एक लाख से अधिक युवाओं को अवसर देने की तैयारी कर रही है। अभी तक यह संख्या लगभग पैंतालीस से पचास हजार के बीच रही है।
कोविड काल में रुकी भर्ती का असर
वर्ष दो हजार बीस और दो हजार इक्कीस के दौरान महामारी के कारण भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह रोक दिया गया था। यही वह समय था जब हर वर्ष लगभग साठ से पैंसठ हजार सैनिक सेवानिवृत्त होते रहे। इस दौरान अग्निपथ योजना लागू नहीं हुई थी और पारंपरिक भर्ती प्रणाली के माध्यम से ही सैनिकों की नियुक्ति की जाती थी। भर्ती में रुकावट और सेवानिवृत्ति जारी रहने से कमी तेजी से बढ़ती चली गई।
अग्निपथ योजना लागू होने के बाद स्थिति
अग्निपथ योजना चौदह जून दो हजार बाईस को लागू की गई। इस योजना के अनुसार थलसेना, नौसेना और वायुसेना के लिए कुल छहचालीस हजार पद घोषित किए गए, जिनमें से चालीस हजार स्थान थलसेना को मिले। योजना का उद्देश्य था कि चार वर्षों में भर्ती संख्या धीरे-धीरे बढ़ाकर कुल एक लाख पचहत्तर हजार तक पहुंचाई जाए। नौसेना और वायुसेना के लिए भी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया था।
योजना लागू होने के बाद भी सेवानिवृत्ति का क्रम पहले की तरह ही चलता रहा। हर वर्ष लगभग साठ से पैंसठ हजार सैनिक सेवानिवृत्त होते रहे। दूसरी ओर, अग्निवीर भर्ती अपेक्षाकृत कम होने से सेना में हर साल बीस से पच्चीस हजार अतिरिक्त कमी जुड़ती चली गई। इसी के परिणामस्वरूप वर्तमान में थलसेना में कमी बढ़कर लगभग एक लाख अस्सी हजार जवानों तक पहुंच गई है।
अब भर्ती संख्या बढ़ाने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान कमी को देखते हुए थलसेना इस वर्ष से भर्ती संख्या को काफी बढ़ाने जा रही है। अब हर वर्ष लगभग एक लाख अग्निवीरों की भर्ती करने की योजना है। इसमें यह बात भी शामिल है कि वर्ष दो हजार छब्बीस से अग्निवीर अवधि पूरी करने वाले युवाओं का बाहर जाना भी शुरू होगा, जिससे और अधिक रिक्तियां बनेंगी।
थलसेना का कहना है कि भर्ती में वृद्धि तभी की जाएगी जब सभी रेजिमेंट केंद्रों की प्रशिक्षण क्षमता और मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके। लक्ष्य यह है कि संख्या बढ़ने के बावजूद प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर कोई असर न पड़े।
थलसेना का आधिकारिक रुख
थलसेना ने स्पष्ट किया है कि अग्निपथ योजना के पहले चार वर्षों, अर्थात वर्ष दो हजार पच्चीस के अंत तक, कुल एक लाख पचहत्तर हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। सेना का कहना है कि मौजूदा कमी को ध्यान में रखते हुए चरणबद्ध तरीके से भर्ती प्रक्रिया चलाई जाएगी और रिक्तियों की घोषणा उसी के अनुरूप की जाएगी।
भविष्य में और अधिक सेवानिवृत्ति का दबाव
वर्ष दो हजार बीस तक भर्ती हुए नियमित सैनिकों की सेवानिवृत्ति हर वर्ष लगभग साठ हजार की गति से आगे भी जारी रहेगी। दूसरी ओर, पहली अग्निवीर टुकड़ी वर्ष दो हजार छब्बीस के अंत में चार वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी और उनका बाहर जाना भी शुरू हो जाएगा। इससे नियमित सैनिकों और अग्निवीरों दोनों की सेवानिवृत्ति के कारण सेना में कमी बढ़ने की संभावना है।
इसी स्थिति को देखते हुए अगले तीन से पांच वर्षों में भर्ती को और अधिक बढ़ाने की योजना पर विचार किया जा रहा है ताकि मौजूदा कमी को कम किया जा सके और सेवानिवृत्त होने वाले जवानों की जगह नए युवा समय पर सेवा में आ सकें।
