नई दिल्ली । बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी अंदरूनी हलचल से गुजर रही है। लगातार कमजोर प्रदर्शन और संगठनात्मक असंतोष के बीच अब बड़ा झटका तब लगा जब बिहार महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरवत जहां ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस कदम ने न सिर्फ पार्टी में भीतरघात और असंतोष की चर्चा तेज कर दी है बल्कि महिलाओं को लेकर कांग्रेस की प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
महिलाओं की अनदेखी से आहत सरवत जहां
इस्तीफे की घोषणा करते हुए सरवत जहां ने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी के भीतर महिलाओं की भूमिका लगातार कमजोर होती जा रही है। उन्होंने बताया कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान महिला कार्यकर्ताओं को महज आठ प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया गया। यह आंकड़ा उनके अनुसार बेहद निराशाजनक है क्योंकि पार्टी ने हमेशा महिला सशक्तीकरण की बात की है पर व्यवहार में स्थिति इसके उलट दिखी।
सरवत जहां ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लगातार संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया। 28 महीनों तक उन्होंने और 38 जिलों की महिला जिलाध्यक्षों ने बूथ स्तर तक जाकर मेहनत की। सड़कों पर उतरकर महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाया और कई बार पूरे प्रदेश में जनसंपर्क अभियान भी चलाया। इसके बावजूद महिला नेतृत्व की आवाज को महत्व न देना उनके लिए बेहद निराशाजनक रहा।
टिकट न मिलने से बढ़ी नाराजगी
सबसे बड़ी नाराजगी उस समय सामने आई जब चुनाव में टिकट वितरण के दौरान महिला नेताओं को लगभग नजरअंदाज कर दिया गया। सरवत जहां ने कहा कि महिलाओं को इस बार जिस तरह से पीछे धकेला गया है वह संगठन के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि महिला प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया जबकि हजारों महिला कार्यकर्ताएं मैदान में लगातार सक्रिय रहीं। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा फैली और नेतृत्व के प्रति सवाल उठने लगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने यह संदेश दिया कि चाहे आप कितनी भी मेहनत कर लें बिना उचित प्रतिनिधित्व के नेतृत्व की भावना कमजोर हो जाती है। यही कारण है कि उन्होंने अपने पद से हटने का कठिन फैसला लिया।
टिकट वितरण पर गंभीर सवाल
इस्तीफा देते समय अपने एक्स पोस्ट में सरवत जहां ने कई कड़े सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि वे हमेशा नैतिकता और निडरता से राजनीति करती रही हैं और 25 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं को केवल आठ प्रतिशत टिकट दिए। इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी के दोनों सदनों में महिला प्रतिनिधित्व लगभग शून्य हो गया।
सरवत जहां ने लिखा कि महिलाओं की इस गिरती स्थिति को देखकर उन्हें गहरा आत्मचिंतन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पार्टी का मूल सिद्धांत महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना है पर वास्तविक स्थिति ठीक इसके विपरीत है। इस विडंबना को देखते हुए उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने का निर्णय लिया।
सोनिया गांधी को बताया प्रेरणा
अपने इस्तीफे के पत्र में उन्होंने सोनिया गांधी के प्रति गहरा सम्मान भी व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि सोनिया गांधी उनके लिए हमेशा राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में प्रेरणा का स्रोत रही हैं। सोनिया गांधी की सादगी निर्णय क्षमता और पद से निर्लिप्तता को उन्होंने हमेशा आदर्श के रूप में देखा है।
कांग्रेस के लिए बड़ा संकेत
सरवत जहां के इस्तीफे ने बिहार कांग्रेस संगठन के भीतर की असंतुष्टि को एक बार फिर उजागर कर दिया है। महिला नेतृत्व की उपेक्षा पर उठे सवाल न सिर्फ संगठन को दिमाग लगाने पर मजबूर करेंगे बल्कि चुनावी रणनीतिकारों को भी नए सिरे से सोचने की आवश्यकता होगी। यह इस्तीफा पार्टी के लिए केवल एक पद छोड़ने का मामला नहीं बल्कि संगठनात्मक ढांचे में लगातार फैल रही असंतुष्टि का संकेत है।
