नई दिल्ली। सादगी भरे चेहरे और गहराई से भरी अदाकारी वाले अभिनेता ओम पुरी (Om Puri) की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं। गरीबी, अपमान और संघर्षों के बीच उन्होंने अभिनय को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य बना लिया। आज उनकी जयंती पर जानते हैं उस अभिनेता की कहानी, जिसने अपनी कला से भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी।आइए जानते है उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़े अनसुने किस्सों के बारे में।
गरीबी और संघर्ष से भरा बचपन
अभिनेता ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 को अंबाला (हरियाणा) में हुआ था। बचपन में उनके पिता पर सीमेंट चोरी का झूठा आरोप लगा, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। घर की हालत इतनी खराब हो गई कि छोटे ओम पुरी को चाय बेचनी पड़ी और ढाबों में बर्तन धोने पड़े। यही संघर्ष आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताकत बना।
NSD और FTII से बदली किस्मत
ओम पुरी ने अभिनय की पढ़ाई नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) और फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII), पुणे से की। FTII के इंटरव्यू में कुछ जूरी मेंबर्स ने कहा था कि उनका चेहरा “न हीरो जैसा है, न खलनायक या कॉमिक रोल के लायक”। लेकिन उस वक्त के निदेशक गिरीश कर्नाड ने उन्हें संस्थान में दाखिला दिलाया और यही ओम पुरी के करियर की सबसे बड़ी शुरुआत साबित हुई।
NSD में ओम पुरी के साथी नसीरुद्दीन शाह थे, जिनसे उनकी गहरी दोस्ती बनी। वहीं FTII में उनके रूममेट डेविड धवन थे, जो बाद में बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक बने।
नसीरुद्दीन शाह की बचाई थी जान
साल 1977 में एक रेस्टोरेंट में हुए झगड़े में किसी ने नसीरुद्दीन शाह पर हमला कर दिया था। उस वक्त ओम पुरी ने बिना सोचे-समझे बीच में आकर नसीरुद्दीन की जान बचाई। यह घटना दोनों की दोस्ती की मिसाल बन गई और बॉलीवुड में आज भी याद की जाती है।
निजी जीवन में तूफान
ओम पुरी की पहली शादी अभिनेत्री सीमा कपूर से हुई थी, जो ज्यादा दिन नहीं चली। बाद में उन्होंने पत्रकार नंदिता पुरी से शादी की। नंदिता ने उनकी जीवनी “Unlikely Hero: The Story of Om Puri” लिखी, जिसमें उनके निजी जीवन के कई पहलू उजागर किए गए।
इससे ओम पुरी बेहद नाराज हुए और दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। आखिरकार, साल 2016 में दोनों अलग हो गए।
सिनेमा में दमदार उपस्थिति
ओम पुरी का सफर ‘आर्ट’ और ‘कमर्शियल’ सिनेमा दोनों में यादगार रहा।
उनकी प्रमुख फिल्मों में ‘आक्रोश’ (1980), ‘अर्धसत्य’ (1983), ‘जाने भी दो यारों’, ‘मिर्च मसाला’, ‘चाची 420’, ‘हेरा फेरी’, और ‘मकबूल’ जैसी फिल्में शामिल हैं।
उन्होंने ब्रिटिश, पाकिस्तानी और हॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय किया। जिनमें East Is East, City of Joy और The Hundred-Foot Journey प्रमुख हैं।
उन्हें पद्मश्री (1990), राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, और फिल्मफेयर अवॉर्ड जैसे सम्मान मिले।
निधन और विरासत
6 जनवरी 2017 को ओम पुरी का निधन मुंबई स्थित उनके घर में हुआ। प्रारंभिक जांच में हार्ट अटैक को कारण बताया गया, हालांकि बाद में पुलिस ने स्पष्ट किया कि मौत स्वाभाविक थी।
आज भी ओम पुरी को एक ऐसे अभिनेता के रूप में याद किया जाता है, जिसने अपने अभिनय से सामाजिक सच्चाइयों को परदे पर जिया और चेहरे से नहीं, कला से नायक बनने का अर्थ बताया।गरीबी और संघर्षों से निकलकर ओम पुरी ने अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी। चाय बेचने वाले इस कलाकार ने भारतीय सिनेमा को विश्व मंच पर पहुंचाया और खुद बन गए अभिनय की मिसाल।
