नई दिल्ली। रबी की बुवाई शुरू होने से ठीक पहले चीन ने बड़ा झटका दिया है। दुनिया का सबसे बड़ा उर्वरक उत्पादक देश चीन ने यूरिया और विशेष उर्वरकों के निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे भारत समेत वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया है।
उद्योग जगत के अनुसार, इस कदम से भारत में विशेष उर्वरकों की कीमतों में 10 से 15 फीसदी तक की तेजी आ सकती है। सबसे ज्यादा असर रबी फसलों पर पड़ने की आशंका है, क्योंकि इस सीजन में उर्वरकों की मांग सबसे अधिक रहती है।
क्यों लिया गया फैसला?
चीन ने 15 मई से 15 अक्टूबर तक कुछ शर्तों के साथ उर्वरक निर्यात शुरू किया था। लेकिन अब एक बार फिर, उसने अगली सूचना तक निर्यात पर पूर्ण रोक लगा दी है। यह रोक यूरिया, डीएपी (डाय अमोनियम फॉस्फेट), टीएमएपी (मोनोअमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया-समाधान उत्पादों पर लागू होगी।
भारत को सबसे बड़ा झटका
भारत अपनी ज़रूरत का करीब 95% विशेष उर्वरक चीन से आयात करता है, विशेष उर्वरकों में टीएमएपी और एडब्लू जैसे उर्वरक शामिल हैं, जो उन्नत खेती और उत्सर्जन नियंत्रण में इस्तेमाल होते हैं।
घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ (SFIA) के अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती ने बताया कि चीन की यह रोक 5 से 6 महीने तक जारी रह सकती है।अभी के लिए स्टॉक मौजूद है, लेकिन कीमतें बढ़ना तय है। अगर रोक मार्च 2026 तक जारी रही तो आपूर्ति संकट गहरा जाएगा।
रबी फसल की लागत बढ़ेगी
भारत में हर साल करीब 2.5 लाख टन विशेष उर्वरकों की खपत होती है, जिसका 60-65% उपयोग रबी सीजन में होता है। ऐसे में कीमतों में उछाल का सीधा असर किसानों की जेब और खाद्यान्न की कीमतों पर पड़ेगा।
क्या हैं विकल्प?
भारत के पास दक्षिण अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे देशों से सीमित मात्रा में आयात विकल्प जरूर हैं, लेकिन ये केवल चुनिंदा उर्वरकों तक सीमित हैं।
सरकार को अब घरेलू उत्पादन बढ़ाने, आपातकालीन आयात योजना बनाने और किसानों को राहत पैकेज देने जैसे ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
रबी फसल की तैयारी के बीच चीन का यह फैसला भारत के किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।अब देखना होगा कि भारत सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।
