नई दिल्ली । अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के बीच एशियाई शेयर बाजार बुधवार को दबाव में रहे। हाल ही में बाजारों में तेजी देखने को मिली थी, लेकिन अब निवेशक सतर्क हो गए हैं और कई जगह मुनाफावसूली के चलते शेयरों और धातुओं की कीमतें गिर गई हैं।
हांगकांग, शंघाई, सिडनी, वेलिंगटन, ताइपेई और मनीला तक बाजारों में गिरावट देखने को मिली। जापान में राजनीतिक तनाव में कमी आने के बावजूद निवेशकों ने मुनाफा बुक किया और टोक्यो का निक्केई इंडेक्स गिर गया।
एशियाई शेयर बाजार में झटका
जापान में साने ताकाइची के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद निक्केई 269 अंक यानी 0.55% गिरकर 49,046 के स्तर पर आ गया। वहीं, हांगकांग का एचएसआई 342 अंक या 1.32% नीचे गिरकर 25,684 पर बंद हुआ।
चीन के प्रमुख बाजार शंघाई और शेनझेन भी क्रमशः 0.44% और 0.81% गिरकर बंद हुए। हालांकि, दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 3 अंक बढ़कर 3,827 पर ट्रेड कर रहा था, जो सुबह के शुरुआती समय का आंकड़ा है।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी-चीन टैरिफ, व्यापारिक अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक संकेतकों ने निवेशकों की चुलबुली धारणा को प्रभावित किया।
सोना और चांदी में दबाव
इस साल सोने ने जोरदार तेजी दिखाई थी और यह करीब 60% तक ऊपर चढ़ा, लेकिन बुधवार को कीमतों में गिरावट देखी गई। सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि मंगलवार को यह रिकॉर्ड 4,381.51 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा था।
सोने के साथ ही चांदी की कीमतें भी दबाव में रहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की गिरावट के पीछे कई कारण हैं—जिनमें अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, संभावित फेड रेट कट, और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने के भंडार में लगातार वृद्धि शामिल है।
विश्लेषकों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी डॉलर और ब्याज दरों की नीति सोने-चांदी की कीमतों पर प्रत्यक्ष असर डाल रही है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव के बीच निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन वर्तमान में बाजार में मुनाफावसूली का दबाव ज्यादा है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सोने और चांदी में हाल की गिरावट अल्पकालिक हो सकती है और आर्थिक संकेतकों के अनुरूप कीमतों में फिर उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
संक्षेप में, बुधवार को एशियाई बाजारों और कीमती धातुओं में गिरावट ने वैश्विक निवेशकों में सतर्कता बढ़ा दी है। अमेरिका-चीन के व्यापारिक रिश्तों और डॉलर की स्थिति पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
