नई दिल्ली । अपना घर हर भारतीय का सपना होता है, लेकिन बढ़ती कीमतें और सीमित सैलरी इसे हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण बना रही हैं। ऐसे में घर खरीदते समय केवल कीमत पर ध्यान देना ही काफी नहीं, बल्कि EMI, मासिक खर्च और बचत का संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है, ताकि यह सपना आर्थिक दबाव में न बदल जाए।
हाल ही में एक इन्वेस्टमेंट बैंकर और बिजनेस एजुकेटर ने घर खरीदने के लिए चार महत्वपूर्ण फाइनेंशियल नियम साझा किए। ये नियम आपकी सैलरी और आर्थिक स्थिति के अनुसार सही घर चुनने में मदद कर सकते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मासिक खर्च और बचत में संतुलन बना रहे।
1. घर की कीमत: सालाना इनकम का 5 गुना तक
फाइनेंस एक्सपर्ट के अनुसार, घर की कीमत आपकी सालाना आय के पांच गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, यदि आपकी सालाना आय 7.2 लाख रुपये है, तो 36 लाख रुपये तक का घर खरीदना सुरक्षित माना जाता है। यह थंब रूल घर की कीमत और आपकी वित्तीय क्षमता के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
2. डाउन पेमेंट: 20-30% रकम
घर खरीदते समय पूरी कीमत लोन से चुकाना सही नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, घर की कीमत का 20-30% डाउन पेमेंट के रूप में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, 36 लाख रुपये के घर के लिए 7-10 लाख रुपये की शुरुआती रकम रखना जरूरी है। इससे लोन पर निर्भरता कम होती है और ब्याज का बोझ भी नियंत्रित रहता है।
3. EMI: सैलरी का 35% से ज्यादा नहीं
तीसरा नियम यह है कि मासिक ईएमआई आपकी इन-हैंड सैलरी का 35% से अधिक नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, यदि आपकी सैलरी 60,000 रुपये है, तो ईएमआई 21,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अन्य आवश्यक खर्चे और बचत प्रभावित नहीं होते और वित्तीय संतुलन बना रहता है।
4. लोन पीरियड: 20 साल से अधिक न हो
घर लोन की अवधि जितनी लंबी होगी, ब्याज का बोझ उतना बढ़ेगा। इसलिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोन की अवधि 20 साल या उससे कम रखें। इससे लाखों रुपये की ब्याज बचत होती है और जल्दी कर्ज मुक्त होने का अवसर मिलता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्टों का मानना है कि इन चार नियमों को ध्यान में रखकर घर खरीदना न केवल आर्थिक रूप से सुरक्षित है, बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाए रखता है। बढ़ती महंगाई और जीवनशैली के खर्चों के बीच, सही घर और लोन का चुनाव आपके आर्थिक भविष्य को मजबूत कर सकता है।
घर खरीदते समय इन बुनियादी नियमों का पालन करना न केवल वित्तीय सुरक्षा देता है, बल्कि लंबे समय में संपत्ति को सही तरीके से मैनेज करने में भी मदद करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोच-समझकर लिए गए फैसले जीवनभर के वित्तीय दबाव को कम कर सकते हैं और सपना “अपना घर” को वास्तविकता में बदल सकते हैं।
