नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की सियासत में इस समय हलचल तेज हो गई है। हाल ही में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के प्रशासन द्वारा दो सरकारी कर्मचारियों को आर्टिकल 311 के तहत निलंबित किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
उमर अब्दुल्ला ने 30 अक्टूबर को हंदवाड़ा में एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कर्मचारियों की बर्खास्तगी का फैसला केवल अदालत के जरिए होना चाहिए, महज शक के आधार पर नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर सरकारी कर्मचारी को सज़ा से पहले अपना पूरा बचाव करने का अधिकार होना चाहिए।
“मैंने हमेशा कहा है कि नौकरी से निकालने का फैसला सिर्फ कोर्ट को करना चाहिए, और हर किसी को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए,” उमर अब्दुल्ला ने कहा। उनके इस बयान से साफ संकेत मिलता है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों को वे मनमाने और अनुचित मानते हैं।
दो कर्मचारियों पर कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में दो सरकारी कर्मचारियों को आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बर्खास्त किया है। सरकार का कहना है कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत उठाया गया। हालांकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का मानना है कि बिना न्यायिक प्रक्रिया के की गई कार्रवाई गलत है और इससे प्रशासन की साख पर असर पड़ता है।
मनमानी शक्तियों का दुरुपयोग
उमर अब्दुल्ला ने इन बर्खास्तगियों को मनमानी शक्तियों के दुरुपयोग के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे कर्मचारी, जिन्हें बिना ठोस सबूत नौकरी से हटाया गया, बाद में अदालत से बरी होकर अपनी पोस्ट पर लौट आए। उन्होंने चेतावनी दी, “असली दोषियों को सजा देने के लिए कोर्ट प्रोसेस का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। शक के आधार पर की गई कार्रवाई सभी को नुकसान पहुंचाती है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बिना न्यायिक जांच के की गई कार्रवाइयाँ न केवल प्रशासन की साख को प्रभावित करती हैं, बल्कि कर्मचारियों के मनोरबल और आत्मविश्वास को भी कमजोर कर देती हैं।
राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की बहाली की मांग दोहराते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस लोगों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “विरोधी हमें भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम अपने मिशन पर फोकस किए हुए हैं और चुनाव के वादे पूरे किए जाएंगे।”
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का एजेंडा न्याय, विकास और प्रतिनिधित्व पर आधारित है। “हमारा लक्ष्य निष्पक्ष शासन, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना है, जो तभी संभव है जब सिस्टम पारदर्शी और जवाबदेह हो।”
इस बयान से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक और राजनीतिक विवाद अब गहराने की ओर हैं। मुख्यमंत्री की टिप्पणियाँ स्थानीय प्रशासन की कार्रवाइयों की समीक्षा और कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को बल देती हैं।
