नई दिल्ली। 2020 दिल्ली दंगों के मामलों में शरजील ईमाम, उमर खालिद सहित छह आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजिरिया की बेंच कर रही है। कोर्ट में आरोपियों के वरिष्ठ वकील अपने-अपने पक्ष में दलील पेश कर रहे हैं, जबकि दिल्ली पुलिस ने हलफनामा दाखिल कर ठोस दस्तावेज और तकनीकी सबूत प्रस्तुत किए हैं।
पुलिस ने दावा किया है कि आरोपियों ने सुनियोजित रूप से दंगे भड़काने और देश की एकता एवं संप्रभुता को नुकसान पहुँचाने की साजिश रची थी। पुलिस की ओर से बताया गया कि आरोपियों ने भीड़ को अराजकता फैलाने और हिंसा के लिए उकसाया। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में आरोपियों के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोपों को बेबुनियाद बताया। सिब्बल ने विशेष रूप से कहा कि उमर खालिद दंगों के समय दिल्ली में मौजूद नहीं थे और उनके खिलाफ किसी प्रकार के हथियार, पैसा या हिंसा के सबूत नहीं मिले। उन्होंने आरोपों को साजिश आधारित बताया और कहा कि खालिद को 751 एफआईआर में अनावश्यक रूप से आरोपी बनाया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल 11 अप्रैल 2020 से जेल में हैं और लंबी अवधि तक बिना ट्रायल बंद रहना न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि बेल नियम है, जेल अपवाद। इसके अलावा उन्होंने गुल्फिशा फातिमा के मामले का उदाहरण दिया, जिन्होंने “पिंजरा तोड़” समूह से जुड़ने और गुप्त बैठकों में शामिल होने के आरोप झेले, जबकि देवांगना और नताशा को इसी मामले में जमानत मिल चुकी है।
पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर आरोपियों की जमानत का कड़ा विरोध किया। हलफनामे में कहा गया कि उनके पास ऐसे दस्तावेज और तकनीकी सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि आरोपियों ने देशभर में दंगे फैलाने की साजिश रची। पुलिस का कहना है कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।
यह दंगा फरवरी 2020 में हुआ था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे। आरोपियों में शरजील ईमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा, शिफा उर रहमान और मुहम्मद सलीम खान शामिल हैं। खालिद सितंबर 2020 से जेल में हैं। मानवाधिकार संगठन इस मामले को राजनीतिक बताता है, जबकि पुलिस इसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मामला मानती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को पुलिस के हलफनामे पर जवाब देने और अपनी दलील प्रस्तुत करने के लिए समय दिया। कोर्ट की सुनवाई अभी जारी है और इसे भविष्य में कई सत्रों में सुना जाएगा।
इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी हलचल पैदा की है, और जमानत की पेशकश पर अदालत का निर्णय देशभर में ध्यान का केंद्र बना हुआ है।
