नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। जहां एक ओर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही थी, वहीं अब AIMIM, आजाद समाज पार्टी और अपनी जनता पार्टी ने मिलकर तीसरे मोर्चे की घोषणा कर दी है। इस नए राजनीतिक गठबंधन का नाम ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (GDA) रखा गया है।
AIMIM को महागठबंधन में जगह न दिए जाने के बाद पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस तीसरे मोर्चे के गठन का रास्ता चुना। GDA को राज्य में एक वैकल्पिक सेक्युलर शक्ति के रूप में पेश किया जा रहा है, जो सांप्रदायिक ताकतों और पारंपरिक राजनीति को चुनौती देने की तैयारी में है।
किशनगंज में हुआ गठबंधन का ऐलान
GDA का ऐलान AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बुधवार को किशनगंज में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया। इस दौरान आजाद समाज पार्टी और अपनी जनता पार्टी के शीर्ष नेता भी मौजूद रहे। ईमान ने कहा कि यह गठबंधन राज्य की राजनीति में एक नई दिशा देने और सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता व संविधान की रक्षा के मुद्दे पर जनता के बीच जाएगा।
अख्तरुल ईमान, AIMIM प्रदेश अध्यक्ष बोले, “हमारी लड़ाई सिर्फ सत्ता प्राप्ति की नहीं है, बल्कि देश में इंसाफ और समानता कायम करने की है,”
सीटों का बंटवारा तय
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईमान ने सीट बंटवारे की भी जानकारी दी।
AIMIM- 35 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
आजाद समाज पार्टी- 25 सीटों पर दावेदारी
अपनी जनता पार्टी- 4 सीटों पर मैदान में उतरेगी
ईमान ने बताया कि सभी घटक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का चयन कर लिया है और कल देर शाम तक उम्मीदवारों की सूची की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।
‘तीनों पार्टियां मिलकर देंगी चुनौती’
गठबंधन के नेताओं का कहना है कि GDA बिहार की राजनीति में दबे-कुचले, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग की आवाज़ को मजबूत करने का काम करेगा। यह गठबंधन न सिर्फ परंपरागत वोट बैंक की राजनीति को तोड़ेगा, बल्कि एक नई जन आधारित राजनीति का प्रारंभ करेगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे कई नेता
गठबंधन की घोषणा के दौरान मंच पर AIMIM और अन्य दलों के कई प्रमुख नेता मौजूद थे। इसमें आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद, प्रदेश सचिव विक्रम कुमार, जिला अध्यक्ष वसीम अकरम खान, प्रवक्ता आदिल हसन, नसीम अख्तर और इशहाक आलम भी मौजूद रहे।
बदल सकता है सियासी समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नए गठबंधन से राज्य में तीन ध्रुवीय मुकाबला बन सकता है। खासकर सीमांचल, दलित और पिछड़े वर्गों वाले इलाकों में GDA का असर देखने को मिल सकता है। अब देखना होगा कि यह तीसरा मोर्चा बिहार की राजनीति में कितनी बड़ी सेंध लगा पाता है।
