नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर राजनीतिक तनाव बढ़ता दिख रहा है। भाजपा द्वारा मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन में चुनाव प्रभारी के रूप में वन मंत्री गणेश नाइक की हालिया नियुक्ति को विशेषज्ञों ने महायुति के अंदर मतभेद और बढ़ने का संकेत बताया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम गठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन और रणनीतिक हितों पर सवाल खड़े कर सकता है।
भाजपा ने गणेश नाइक को सात जिलों, जिनमें ठाणे भी शामिल है, का प्रभारी नियुक्त किया है। नाइक को उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। इससे गठबंधन में असंतोष और विवाद की संभावना बढ़ गई है।
कौन हैं गणेश नाइक
रिपोर्टों के अनुसार, गणेश नाइक एक ऐसे नेता माने जाते हैं, जो बड़े नेताओं को चुनौती देने और कठिन राजनीतिक परिस्थितियों में टिके रहने की क्षमता रखते हैं। वे अविभाजित शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से अलग होने के बाद भी ठाणे में सक्रिय रहे। इस क्षेत्र में शिंदे के गुरु आनंद दीघे का भी खासा प्रभाव रहा है।
नाइक का मजबूत जनाधार युवाओं और मजदूरों में है। उनके समर्थन से वाशी, नेरुल, एरोली, तुर्भे, घंसोली और TTC बेल्ट में शिवसेना का नेतृत्व मजबूत हुआ। 1980 के दशक में वे नवी मुंबई में बड़े नेता बन चुके थे। पार्टी विस्तार के दौरान उनका क्षेत्र दीघे से अधिक बढ़ा, जिससे ठाकरे को हस्तक्षेप करना पड़ा।
1990 के विधानसभा चुनाव में गणेश नाइक ने बेलापुर से पहली बड़ी जीत हासिल की। इसके पांच साल बाद वे मनोहर जोशी की सरकार में मंत्री बने, लेकिन सरकार और ठाकरे से उनके टकराव जारी रहा। रिपोर्टों के अनुसार, नाइक ने इस्तीफा देने से मना किया, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया।
1990 में नाइक ने अविभाजित NCP से गठबंधन किया, लेकिन चुनाव हार गए। 2004 में उन्हें सफलता मिली और वे एक्साइज मंत्री बने। 2014 में भाजपा के उम्मीदवार मंदा म्हात्रे से हार का सामना करना पड़ा। 2019 में नाइक ने भाजपा के साथ गठबंधन कर एरोली सीट पर जीत दर्ज की।
भाजपा क्यों दे रही है खास तवज्जो
गणेश नाइक की टीटीसी क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति और मजदूर व ठेकेदारों से गहरा संपर्क उन्हें जल्दी समर्थन जुटाने में सक्षम बनाता है। बड़े नेताओं से टक्कर लेने की उनकी क्षमता उन्हें शिंदे के गढ़ में चुनौती देने वाले चुनिंदा नेताओं में शामिल करती है। भाजपा के लिए नाइक नवी मुंबई और ठाणे के कमजोर इलाकों में असरदार साबित हो रहे हैं।
महायुति गठबंधन में टकराव की स्थिति
अक्टूबर में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में भाजपा ने ठाणे और नवी मुंबई नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ने का संकेत दिया, ताकि अपने महापौर बनाए जा सकें। इस कदम के बाद शिंदे नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी ठाणे में अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है, जहां उनका प्रभाव काफी मजबूत है।
विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा और शिवसेना के बीच नाइक को लेकर बढ़ते मतभेद से महायुति के भीतर गठबंधन स्थिरता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। आने वाले महीनों में नगर निकाय और विधानसभा चुनाव इस तनाव की दिशा तय करेंगे।
