नई दिल्ली । बिहार की सियासत में एक बार फिर शराबबंदी चर्चा के केंद्र में है। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने बिहार की शराबबंदी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य में यह कानून केवल “नाम के लिए” रह गया है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में लोग फोन करके घर तक शराब मंगवा सकते हैं।
धर्मेंद्र लोधी का यह बयान फेसबुक लाइव के दौरान आया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी केवल कानून से नहीं, बल्कि समाज और व्यक्ति की सोच से लागू हो सकती है।
“शराबबंदी केवल कानून से नहीं होगी सफल”
लोधी ने कहा, “अगर आप दारू बंद भी करवा देंगे, तो पीने वाला कहीं न कहीं से शराब लेकर ही आएगा। शराबबंदी तभी सफल होगी जब समाज और व्यक्ति दोनों नशामुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प लें।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार और गुजरात दोनों में शराबबंदी लागू है, लेकिन जमीनी सच्चाई अलग है।
मंत्री ने दावा किया, “मैंने जब जानकारी ली तो पता चला कि बिहार में शराबबंदी तो है, लेकिन माफिया घर-घर शराब पहुंचा रहे हैं। फोन करने पर शराब आ जाती है।” उन्होंने कहा कि यह स्थिति दिखाती है कि शराबबंदी का मकसद अपनी दिशा खो चुका है और केवल दिखावे तक सीमित रह गया है।
शराब माफिया पर अप्रत्यक्ष निशाना
विधानसभा में शराब माफिया से जुड़े आरोपों पर सफाई देते हुए धर्मेंद्र लोधी ने कहा कि उन्होंने किसी व्यक्ति या प्रत्याशी का नाम नहीं लिया। उन्होंने स्पष्ट किया, “चाहे सुजान सिंह हों या आशीष जी, मैंने किसी की मानहानि नहीं की। मेरा मकसद यह बताना था कि जब तक समाज में नशे के खिलाफ जनजागरण नहीं होगा, तब तक शराबबंदी केवल कागजों में ही रहेगी।”
“समाज में नशामुक्ति अभियान चलाया जाए”
मंत्री लोधी ने नशामुक्ति को समाजिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को केवल शराब पर प्रतिबंध लगाने के बजाय लोगों को नशामुक्त बनाने के लिए अभियान चलाना चाहिए। “अगर शराब बंद करवानी है तो व्यक्ति को ऐसे संगठन से जोड़िए जो उसे नशामुक्त बना सके। वरना सिर्फ कानून बनाकर आदत नहीं बदली जा सकती,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष हमलावर
मंत्री धर्मेंद्र लोधी के इस बयान से बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है। विपक्ष ने इसे नीतीश सरकार की शराबबंदी नीति पर “सीधा हमला” बताया है। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भी यह बयान असहजता पैदा कर रहा है, क्योंकि मंत्री भाजपा से आते हैं और बिहार में भाजपा नीतीश सरकार की साझेदार रह चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी माहौल में शराबबंदी पर उठे इस सवाल से भाजपा और जेडीयू दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विपक्ष इस मुद्दे को जनता से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
लोधी के बयान के बाद यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या केवल कानून बनाकर नशे पर नियंत्रण संभव है, या इसके लिए समाज के स्तर पर गहरी पहल की जरूरत है।
