नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM-3 (Launch Vehicle Mark-3) को उसके नाम की सार्थकता, यानी ‘बाहुबली’ के रूप में, विश्व भर में पहचान मिली है। इस रॉकेट ने न केवल भारत के सबसे भारी संचार उपग्रहों को लॉन्च किया है, बल्कि इसने चंद्रमा पर तिरंगा फहराने और वैश्विक वाणिज्यिक बाजार में ISRO की धाक जमाने जैसे ऐतिहासिक कारनामे भी किए हैं।
‘बाहुबली’ क्यों पड़ा नाम? राजामौली ने बताया राज
रविवार को जब LVM-3 ने भारत के सबसे भारी उपग्रह CMS-03 (4,410 किलोग्राम) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, तो फिल्म निर्देशक एस.एस. राजामौली और उनकी टीम जश्न में डूब गई।राजामौली ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया कि ISRO ने इस रॉकेट को यह उपनाम इसकी जबरदस्त भारोत्तोलन क्षमता (Heaviness) और असाधारण ताकत (Strength) के कारण दिया है।उन्होंने कहा, “यह नाम इसे इसके भारी वजन और ताकत के कारण दिया गया है… यह हम सभी के लिए वास्तव में एक सौभाग्य की बात है।” यह नाम रॉकेट की शक्ति को उनकी फिल्म के किरदार की भव्यता से जोड़ता है।
LVM-3: ISRO का सबसे बड़ा हथियार
LVM-3 रॉकेट को उसके प्रदर्शन के कारण भारत का सबसे विश्वसनीय और शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल माना जाता है। यह 4,000 किलोग्राम तक के पेलोड को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने की क्षमता रखता है। हालिया CMS-03 मिशन ने इसकी क्षमता को और सिद्ध किया।
LVM-3 के इतिहास रचने वाले 5 सबसे बड़े मिशन
‘बाहुबली’ LVM-3 (जिसे पहले GSLV Mk III नाम दिया गया था) ने अपनी शुरुआत 2014 में करने के बाद से भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के कई सबसे महत्वपूर्ण पन्ने लिखे हैं।
1. चंद्रयान-3 मिशन (जुलाई 2023): भारत की सबसे बड़ी विजय
गौरव: यह LVM-3 रॉकेट के इतिहास का सबसे निर्णायक और गौरवशाली मिशन है।रॉकेट ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित किया, जिसने बाद में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर भारत को दुनिया का चौथा और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनाया।
2. वनवेब वाणिज्यिक मिशन (अक्टूबर 2022 और मार्च 2023): बाजार पर कब्ज़ा
विदेशी सफलता: LVM-3 ने इन मिशनों में वैश्विक संचार कंपनी वनवेब के 36 उपग्रहों को उनकी निचली पृथ्वी की कक्षा (LEO) में स्थापित किया।मार्च 2023 का मिशन LVM-3 का पहला परिचालन (Operational) लॉन्च था और एक ही बार में 36 उपग्रह ले जाने की इसकी क्षमता ने वाणिज्यिक बाजार में ISRO की धाक जमा दी।
3. चंद्रयान-2 मिशन (जुलाई 2019): चंद्रमा की ओर पहला कदम
महत्व: इस महत्वाकांक्षी मिशन ने LVM-3 का उपयोग करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया और भारत को चंद्र अन्वेषण में अग्रणी बनाया।
4. CMS-03/GSAT-24 मिशन (जून 2022): संचार का आधार
व्यावसायिकता: यह मिशन टाटा प्ले की डीटीएच सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए समर्पित था और LVM-3 की संचार उपग्रहों को सटीकता से स्थापित करने की विशेषज्ञता को दर्शाता है।
5. दूसरे विकास परीक्षण (जून 2017): क्षमता का प्रमाणन
आधारशिला: इस मिशन ने एक संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक GTO में स्थापित किया। इसने LVM-3 की परिचालन क्षमता को प्रमाणित किया और भविष्य के बड़े मिशनों, जैसे चंद्रयान और गगनयान (मानव मिशन), के लिए रास्ता साफ किया।
LVM-3 रॉकेट को यह नाम उसकी असाधारण शक्ति, विश्वसनीयता और जटिल एवं भारी पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता के कारण दिया गया है। यह ‘बाहुबली’ रॉकेट ही ISRO के आगामी गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशनों की नींव बनेगा।
