नई दिल्ली।महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों का इंतजार अब खत्म हो गया है। मंगलवार को मुंबई में हुई राज्य चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा कर दी गई। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी मतदान 2 दिसंबर 2025 को होंगे और मतगणना और नतीजे 3 दिसंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे।
चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, 31 जनवरी 2026 से पहले समाप्त हो चुके सभी स्थानीय निकायों के चुनाव कराना अनिवार्य है। इस चुनाव में कुल 86,859 सदस्य और 288 अध्यक्ष चुने जाएंगे।
चुनाव प्रक्रिया और तारीखें
नामांकन दाखिल करने की शुरुआत: 10 नवंबर 2025
नामांकन की अंतिम तिथि: 17 नवंबर 2025
मतदान: 2 दिसंबर 2025
मतगणना और नतीजों की घोषणा: 3 दिसंबर 2025
मतदाता सूची जारी: 7 नवंबर 2025
246 नगर परिषदों में से 236 का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, जबकि 42 नगर पंचायतों में 27 का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। नगर पंचायतों में बहुसदस्यीय आधार पर चुनाव होंगे, जिसमें मतदाताओं को अपने वार्ड के सदस्यों के साथ-साथ अध्यक्ष के लिए भी मतदान करना होगा। उम्मीदवार राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन नामांकन दाखिल कर सकते हैं और अधिकतम चार नामांकन पत्र जमा कर सकते हैं।
राज्य की राजनीति पर असर
चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य की राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है। सत्ताधारी महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे गुट, एनसीपी-अजित पवार गुट) ने जीत का दावा करते हुए स्थानीय स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महायुति गठबंधन सभी नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव मिलकर लड़ेगा और पिछले विधानसभा चुनावों जैसी सफलता प्राप्त करेगा।
बीजेपी नेताओं ने स्थानीय ओबीसी आरक्षण बहाली को अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बताते हुए कहा कि इस फैसले से चुनावी प्रक्रिया में गति आएगी। महायुति ने विपक्ष पर नकारात्मक राजनीति करने और प्रशासनिक बाधाओं का आरोप लगाकर चुनावी बिगुल फूंक दिया है।
विपक्षी MVA का रुख
विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। MVA के वरिष्ठ नेता जैसे उद्धव ठाकरे, शरद पवार और जयंत पाटिल ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट नाम और फर्जी EPIC कार्डों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने मांग की है कि जब तक मतदाता सूची में विसंगतियाँ नहीं सुधारी जातीं, तब तक चुनाव स्थगित किए जाएं।
MVA इसे लोकतंत्र बचाने की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत कर रहा है और चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बड़ा मुद्दा बनाकर सत्ता पक्ष को चुनौती दे रहा है।
आने वाले बड़े चुनावों का सस्पेंस
राज्य चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव की घोषणा की गई है। 29 नगर निगमों (BMC सहित) और 32 जिला परिषदों तथा पंचायत समितियों के चुनाव अभी लंबित हैं। नगर निगमों के वार्ड और महापौर के आरक्षण की घोषणा इस महीने के अंत तक होने की संभावना है, जिसके बाद उनके चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
महाराष्ट्र में 2 दिसंबर को होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव राजनीतिक लड़ाई का नया मोड़ साबित होंगे। जहां महायुति गठबंधन अपनी संगठनात्मक ताकत दिखाने को तैयार है, वहीं MVA मतदाता सूची और पारदर्शिता के मुद्दे पर सत्ताधारी दल को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आने वाले हैं, जो राज्य की राजनीति में नए समीकरण तय करेंगे।
