नई दिल्ली । मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र में बुधवार को दिल्ली रोड पर एक छोटी मजार अचानक उभरकर सामने आई, जिसने स्थानीय लोगों के बीच अफरा-तफरी मचा दी सड़क के बिलकुल किनारे बने इस धार्मिक ढांचे को देखकर लोगों ने आपत्ति जताई और पुलिस को सूचना दी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू की और पाया कि यह मजार अवैध रूप से बनाई गई थी
जांच में पता चला कि मजार का निर्माण हंसराज सैनी नाम के स्थानीय निवासी और एक बेकरी के मालिक ने करवाया था हंसराज ने बताया कि उनका बेकरी का कारोबार धीमा चल रहा था इसी दौरान उनके कर्मचारी अब्दुल सत्तार ने सपने में पीर बाबा आने की बात कही और कहा कि अगर इस स्थान पर मजार बनाई जाएगी तो कारोबार में सुधार होगा हंसराज ने इस पर विश्वास किया और सड़क किनारे छोटी मजार बनवा दी
स्थानीय लोगों ने कहा कि यह स्थान सड़क के बिल्कुल पास है और मजार बनने से आवागमन में दिक्कत हो सकती है रोज गुजरते हुए लोग इस नए धार्मिक ढांचे को देखकर हैरान होते रहे लेकिन बुधवार को विरोध तेज हो गया और पुलिस को इसकी सूचना दी गई पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मजार का निरीक्षण किया और अवैध निर्माण होने की पुष्टि के बाद इसे हटवाया
हंसराज ने बताया कि इससे पहले मजार किसी अन्य स्थान पर बनाई गई थी लेकिन वहां भी विरोध होने के कारण उसे हटाकर सड़क किनारे स्थापित किया गया था अब यहां भी विरोध शुरू होने पर उन्होंने स्वयं सहमति दी कि मजार को हटाया जाए हंसराज का कहना था कि उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने या विवाद खड़ा करने का नहीं था उन्होंने केवल अपने कर्मचारी की बात पर विश्वास करके यह कदम उठाया
पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक जगह पर धार्मिक ढांचा बनाना नियमों के खिलाफ है चाहे वह किसी भी धर्म का हो इसलिए अवैध निर्माण को हटाना जरूरी था अधिकारियों ने यह भी कहा कि किसी भी धार्मिक या निजी ढांचे के निर्माण से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य है ताकि सार्वजनिक व्यवस्था और लोगों की सुरक्षा प्रभावित न हो
इस घटना ने स्थानीय लोगों में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ पैदा की कुछ लोग इसे अंधविश्वास और धार्मिक विश्वास का उदाहरण मानते हुए हैरान रह गए जबकि अन्य लोग इसे सार्वजनिक नियमों के उल्लंघन के रूप में देखते हुए इसकी सख्त आलोचना करने लगे हंसराज और उनके कर्मचारी अब्दुल सत्तार की कहानी ने यह दिखा दिया कि कैसे एक सपने की बात और अंधविश्वास कभी-कभी बड़े विवाद का कारण बन सकते हैं
हंसराज ने कहा कि उन्होंने कभी किसी का अपमान करने का इरादा नहीं रखा और जैसे ही उन्हें विरोध की जानकारी मिली उन्होंने स्वयं मजार हटवाने में सहयोग किया यह घटना समाज में अंधविश्वास और नियमों के पालन के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर करती है
परतापुर के इस मामले ने यह भी दर्शाया कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की तत्परता कितनी महत्वपूर्ण है अगर समय रहते कार्रवाई न की जाती तो सड़क किनारे बने इस अवैध धार्मिक ढांचे से न केवल आवागमन प्रभावित होता बल्कि सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता था इस घटना से लोगों को यह संदेश मिला कि व्यक्तिगत विश्वास और सार्वजनिक नियमों में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है
अंततः पुलिस ने मजार को हटवाकर सार्वजनिक सड़क और सुरक्षा सुनिश्चित की और हंसराज और स्थानीय लोगों को नियमों के महत्व और सार्वजनिक स्थान पर किसी भी निर्माण के लिए अनुमति लेने की जानकारी दी इस तरह यह मामला सपने, विश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच के संघर्ष की एक रोचक कहानी बन गया जिसने मेरठ में लोगों का ध्यान आकर्षित किया
