नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर बेंगलुरु में आयोजित दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। इस दौरान भागवत ने हिंदू समाज को संगठित करने और उसे मजबूत बनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि संगठन का मुख्य उद्देश्य समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है।
भागवत ने संवाददाताओं से कहा, “हम संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना चाहते हैं ताकि वे समाज और राष्ट्र के हित में कार्य कर सकें। हमारा विजन एक है और हम केवल उसी विजन को पूरा करने में रुचि रखते हैं। जब यह पूरा हो जाएगा, तो हमारा काम समाप्त हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि इस प्रयास का मुख्य लक्ष्य एक ऐसा समाज बनाना है जो न केवल खुद मजबूत हो, बल्कि दुनिया को धर्म और नैतिकता का ज्ञान भी प्रदान कर सके।
हिंदू समाज का संगठन ही मिशन
RSS प्रमुख ने स्पष्ट किया कि उनका मिशन हिंदू समाज को संगठित करना है। भागवत ने कहा, “हम हिंदू समाज को इसके लिए तैयार कर रहे हैं। हमारा कार्य इसे संगठित करना है और इसके बाद समाज बाकी काम खुद करेगा। संगठन का औपचारिक पंजीकरण न होना कोई बड़ी चिंता नहीं है। कई चीजें पंजीकृत नहीं हैं, यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है।”
भागवत ने इस संदर्भ में सवाल उठाया कि क्या RSS को ब्रिटिश शासनकाल में पंजीकृत करवाना चाहिए था, क्योंकि संगठन 1925 में स्थापित हुआ था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया। उनका तर्क था कि संगठन का काम और उद्देश्य उसकी पहचान से अधिक महत्वपूर्ण है।
टैक्स छूट और मान्यता पर भागवत का बयान
आयकर और अदालतों द्वारा आरएसएस को टैक्स छूट दिए जाने के संदर्भ में भागवत ने कहा कि संघ को व्यक्तियों के समूह के रूप में देखा गया, इसलिए इसे लाभ प्रदान किया गया। उन्होंने कहा, “अगर हम नहीं होते, तो पहले प्रतिबंध किस पर लगाया जाता? आरएसएस पर पहले तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके बावजूद सरकार ने हमें मान्यता दी और हमारा कार्य जारी रखा।”
भागवत ने यह भी रेखांकित किया कि संगठन का उद्देश्य राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक है। उनका कहना था कि RSS का मिशन हिंदू समाज को आत्मनिर्भर, शिक्षित और संगठित बनाना है ताकि वह समाज और राष्ट्र के हित में योगदान दे सके।
हिंदू समाज को शिक्षा और नैतिकता में मजबूत बनाना
मोहन भागवत ने यह भी कहा कि संघ का उद्देश्य सिर्फ संगठन का विस्तार नहीं है, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि RSS समाज के युवाओं और बच्चों को धर्म, नैतिकता, समाज सेवा और अनुशासन का प्रशिक्षण देता है ताकि भविष्य में समाज और देश को स्थिर और विकसित बनाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि संघ प्रमुख का यह संदेश संघ के स्थायी लक्ष्यों और दशकों से चल रहे मिशन की पुष्टि करता है। 100 वर्षों के इस सफर में RSS ने संगठनात्मक मजबूती और सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को मजबूत किया है।
मोहन भागवत का यह संबोधन न केवल RSS के 100 वर्ष पूरे होने की वर्षगांठ का जश्न था, बल्कि इसमें संघ के मूल उद्देश्य और भविष्य की दिशा का स्पष्ट संदेश भी दिया गया। उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट करने, संगठित करने और देश के लिए जिम्मेदार नागरिक बनाने पर जोर दिया। भागवत ने साफ किया कि RSS का मिशन केवल संगठन की मजबूती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य एक समृद्ध, शिक्षित और नैतिक समाज का निर्माण करना है।
