नई दिल्ली छत्तीसगढ़ के जंगलों में सुरक्षाबलों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिडमा 43 को ढेर कर दिया है। हिडमा जो कई वर्षों से छत्तीसगढ़ और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियों का नेतृत्व कर रहा था की मौत से नक्सली संगठन को एक बड़ा झटका लगा है। हिडमा पर 2013 के दरभा घाटी नरसंहार और 2017 के सुकमा हमले सहित कम से कम 26 बड़े हमलों का आरोप था। उसकी मौत को नक्सलियों के खिलाफ चल रही सुरक्षा अभियानों में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
नक्सली हिंसा पर बड़ा प्रहार
माडवी हिडमा का नाम बस्तर क्षेत्र में नक्सली हिंसा और हमलों से जुड़ा रहा है, और वह सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ा निशाना था। हिडमा 2013 में दरभा घाटी नरसंहार में शामिल था, जिसमें कई जवानों और नागरिकों की जानें गईं। इसके अलावा 2017 के सुकमा हमले में भी उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी जिसमें 25 से अधिक जवान शहीद हुए थे। सुरक्षा बलों के लिए हिडमा एक प्रतिद्वंद्वी से अधिक था और उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
ऑपरेशन और मुठभेड़ की विस्तृत जानकारी
माडवी हिडमा की मौत के बाद, सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपना ऑपरेशन और तेज कर दिया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सीमा पर स्थित अल्लूरी सीताराम जिले के जंगलों में एक बड़े एनकाउंटर की खबर आई है, जिसमें सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में अब तक छह नक्सली मारे जा चुके हैं जिनमें कुछ वरिष्ठ कैडर भी शामिल हैं। सुरक्षाबल नक्सलियों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी रखे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में नक्सलियों के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ताओं की मौजूदगी की आशंका जताई जा रही है। सुरक्षा बलों ने इलाके को पूरी तरह से घेर लिया है और मुठभेड़ के बाद जंगलों में गहन तलाशी अभियान जारी है।
हिडमा का नक्सली इतिहास
माडवी हिडमा जिसका असली नाम संतोष था 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में जन्मा था। वह CPI माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और बस्तर क्षेत्र से सेंट्रल कमेटी में शामिल होने वाला पहला आदिवासी था। हिडमा PLGA पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन नंबर 1 का प्रमुख था जो नक्सलियों की सबसे घातक हमलावर यूनिट मानी जाती थी।हिडमा का नाम बड़े नक्सली हमलों से जुड़ा रहा। 2010 में दंतेवाड़ा हमले में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे 2013 में झीरम घाटी नरसंहार हुआ जिसमें 27 लोग मारे गए जिनमें कई कांग्रेसी नेता शामिल थे और 2021 में सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ का भी वह मुख्य आरोपी था जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे। इन हमलों ने हिडमा को नक्सलियों के सबसे कुख्यात चेहरों में से एक बना दिया था।
नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी
सुरक्षाबलों का कहना है कि माडवी हिडमा की मौत नक्सलियों के खिलाफ चल रहे सुरक्षा अभियानों के लिए एक बड़ी सफलता है लेकिन नक्सली गतिविधियां अभी भी जारी हैं। सुरक्षाबल नक्सलियों के प्रमुख ठिकानों को नष्ट करने के लिए लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं और आने वाले दिनों में नक्सलियों के खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।यह मुठभेड़ और हिडमा की मौत नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है जो छत्तीसगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा की दिशा में एक बड़ी जीत साबित हो सकती है।
