बिहार की राजनीति एक बार फिर परिवारिक कलह की आग में झुलसती दिख रही है। जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेजप्रताप यादव ने अपने छोटे भाई और RJD नेता तेजस्वी यादव पर ऐसा हमला बोला है, जिसने न सिर्फ राजनीति के गलियारों में हलचल बढ़ा दी है, बल्कि यादव परिवार के अंदरूनी तनाव को भी खुलकर सामने ला दिया है। तेजप्रताप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबी भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने परिवार के टूटते विश्वास, बहनों के साथ हुए कथित अपमान और माता-पिता की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
तेजप्रताप यादव की पोस्ट की शुरुआत ही तेजस्वी पर सीधे सवाल उठाने से होती है। वे कहते हैं कि बहन के दर्द को समझना हर किसी के बस की बात नहीं होती और तेजस्वी इस पीड़ा की गहराई को कभी महसूस ही नहीं कर पाएंगे। तेजप्रताप याद दिलाते हैं कि वे सात बहनों के बाद जन्मे इकलौते भाई थे और परिवार के लाड़-प्यार में पले-बढ़े थे। उनके अनुसार, वही भाई आज परिवार को जोड़ने के बजाय टूटने के कगार पर ले आया है।
पोस्ट में तेजप्रताप ने परिवार में ‘जयचंदों’ के प्रवेश का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि तेजस्वी ने बाहरी लोगों को इतना प्रभावशाली होने दिया कि पूरा परिवार ही भीतर से बिखरने लगा। उनका कहना है कि इन बाहरी लोगों ने न सिर्फ घर की शांति छीनी, बल्कि RJD की अस्मिता को भी कमजोर कर दिया। तेजप्रताप के मुताबिक, पार्टी के भीतर कुछ लोग सत्ता और नियंत्रण हासिल करने की महत्वाकांक्षा में परिवार के रिश्तों को ही दांव पर लगा बैठे।
आरोपों की बौछार यहीं नहीं रुकती। तेजप्रताप दावा करते हैं कि परिवार में ऐसा माहौल बना दिया गया कि उनकी बहनों को घर छोड़कर जाना पड़ा। वे लिखते हैं कि आज उनके माता-पिता भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और यह सोचकर उनका मन दहल उठता है कि बुजुर्ग माता-पिता किन मानसिक परिस्थितियों में जी रहे होंगे। तेजप्रताप ने यह भी कहा कि परिवार को तोड़ने वाले लोग कभी सुखद अंत तक नहीं पहुंचते और इतिहास गवाह है कि ऐसे लोगों को समाज स्वयं जवाब देता है।
तेजप्रताप अपनी पोस्ट में कई बार जनता को संबोधित करते हैं। वे बिहार के लोगों से आग्रह करते हैं कि इन घटनाओं पर मौन न रहें और लोकतांत्रिक तरीकों से उन लोगों से जवाब तलब करें, जिन्होंने परिवार और RJD दोनों को हानि पहुँचाई है। उनका कहना है कि जब मलाई बांटने का समय था तो हर कोई लाइन में खड़ा था, लेकिन आज जब परिवार टूट रहा है, तब वही लोग चुप्पी साधे हुए हैं। वे जनता को चेतावनी देते हैं कि अब समय आ गया है जब ‘जयचंदों’ की पहचान की जाए और उनके असली चेहरे को सामने लाया जाए।
पोस्ट में तेजप्रताप कई बार भावुक होते दिखाई देते हैं। वे कृष्ण का स्मरण करते हुए लिखते हैं कि कलयुग में लोग अच्छा पाने की चाहत में सच्चे लोगों को खो देते हैं। उनके अनुसार, आज उनके परिवार में जो स्थिति पैदा हुई है, वह लालच और गलत नीतियों का परिणाम है, जिसने न सिर्फ रिश्तों में दरार डाली है बल्कि पार्टी को भी नुकसान पहुँचाया है। तेजप्रताप का आरोप है कि परिवार में विश्वास की जो दीवार वर्षों से खड़ी थी, वह धीरे-धीरे टूटकर बिखर गई है और जहां कभी भरोसा था, अब केवल संदेह और कड़वाहट बची है।
तेजप्रताप ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं, बल्कि परिवार की प्रतिष्ठा और माता-पिता की सुरक्षा से जुड़ी है। वे कहते हैं कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख है कि उनके माता-पिता उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहाँ उन्हें अपने ही घर में भय और असुरक्षा का अनुभव होने लगा है। तेजप्रताप ने जनता से अपील की कि वे इस अन्याय के खिलाफ खड़े हों और लोकतंत्र के भीतर रहकर इन परिस्थितियों का जवाब मांगें।
तेजप्रताप यादव की यह भावुक और तीखी पोस्ट सामने आते ही राजनीतिक वातावरण गर्मा गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यादव परिवार का यह विवाद चुनावी और संगठनात्मक दोनों स्तरों पर RJD के लिए चुनौती बन सकता है। पोस्ट के बाद यह स्पष्ट है कि परिवारिक मतभेद अब पूरी तरह राजनीतिक मोड़ ले चुके हैं और आने वाले दिनों में इसका असर पार्टी की रणनीति और समीकरणों पर भी देखने को मिल सकता है।
