नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार घातक बना हुआ है। हवा की इस जहरीली स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। गुरुवार को जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंद्रचूड़कर की पीठ ने कोर्ट में उपस्थित वकीलों को एक सख्त चेतावनी दी।
जज की सख्त चेतावनी मास्क पर्याप्त नहीं
जस्टिस नरसिम्हा ने वकीलों से सीधा सवाल करते हुए कहा स्थिति बहुत गंभीर है! आप सभी यहां क्यों आए हैं कृपया वर्चुअल सुनवाई का लाभ उठाएं, यह प्रदूषण स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।मास्क पर नसीहत: जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मास्क लगाने की बात कही, तो जस्टिस नरसिम्हा ने तत्काल टोका मास्क भी पर्याप्त नहीं हैं। यह स्वास्थ्य पर स्थायी असर डाल सकता है। हम इस विषय पर मुख्य न्यायाधीश से भी चर्चा करेंगे।कोर्ट की यह टिप्पणी राजधानी की भयावह वायु गुणवत्ता और इसके ‘घातक’ स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर करती है।
दिल्ली में हवा का सेवियर मोड
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता गंभीर (Severe) श्रेणी में दर्ज की गई गुरुवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 404 पर पहुँचा।अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्र 37 निगरानी केंद्रों में से 27 ने हवा को Severe बताया। सबसे अधिक प्रदूषण बवाना (460), चांदनी चौक (455), और वजीरपुर (452) में दर्ज किया गया। स्वास्थ्य पर असर राजधानी में दमघोंटू हालात के कारण अस्पतालों में सांस एलर्जी और आंखों में जलन की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। CAQM की सख्ती और CJI की मॉनिटरिंग वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने NCR में GRAP के चरण-III के तहत 9 सूत्रीय कार्ययोजना लागू कर दी है जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक और ट्रकों की एंट्री पर नियंत्रण शामिल है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक अन्य बेंच प्रदूषण के व्यापक मुद्दे पर पराली जलाने पर पंजाब और हरियाणा सरकारों की कार्रवाई की निगरानी कर रही है, जिसकी रिपोर्ट भी कोर्ट ने तलब की है।
