आत्माराम यादव पीव चीफ एडिटर
आज देश के प्रत्येक घर में स्मार्ट मीटर के लिए 900 का अनुदान केंद्र सरकार और 900 रूपये की राशि विद्युत वितरण कम्पनी भुगतान कर रही है, परिणामतया 1800 रूपये प्रत्येक मीटर पर मिलने के कारण ठेकेदार अपने साथ बलप्रयोग कर मीटर लगवा रहा है। असल में जब यह घर-घर स्मार्ट मीटर की देशव्यापी योजना का पर काम शुरू हुआ उस समय कांग्रेस सहित सभी पार्टियों के नेता गहरी नींद में सोये हुए थे जो केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 23.12.2019 के विनियम-4 एवं विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 31 दिसम्बर, 2020 के विनियम-5 “मीटरिंग” तथा मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता-2021 के “विद्युत मापन तथा बिलिंग के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में आर.डी.एस.एस. योजना के अंतर्गत पारदर्शी बिलिंग, मीटर रीडिंग प्रणाली में सुधार और सटीक ऊर्जा लेखांकन के लिए लगने वाले इन मीटरों के नियमों और आदेशों को तत्समय नहीं देख पाए जब इसके श्रीगणेश करने के पूर्व प्रथम चरण की यह प्रक्रिया सम्पादित की गई, अगर सभी जागे होते तो विरोध में अड़ानी को भारत लायो के नारे नहीं अपितु अड़ानी के स्मार्ट मीटर को भारत से दूर भागाओं का नारा लगा कर तभी इस पर विराम लगवा देते।
भारत के सभी राज्यों में अडानी कम्पनी के बिजली के मीटर घर-घर लगाये जाने के बाद समूचे प्रदेशों में अब इसका जगह- जगह विरोध हो रहा है। विपक्ष सरकार की मनमानी और नागरिकों के अधिकारों की संवैधानिक हत्या निरुपित कर बिजली मीटर की खामियों को उजागर कर खपत से चौगुने बिलों से परेशान उपभोक्ताओं के साथ जिनके घर मीटर लग गए है उन्हें हटाकर पुराने मीटर लगाने और नए मीटर न लगाने की वकालत कर रहा है और अब लोग सड़कों पर उतर आये है तथा जिलों और संभाग के बिजली विभाग के दफ्तरों में नारेवाजी और विरोध कर अधिकारिओ का घेराब तो कही अल्टीमेटम दे रहा है तो कोई हाई कोर्ट द्वारा मीटरों के न लगाये जाने की बात का प्रचार प्रसार कर रहा है। बचाव में बिजली कम्पनी के अधिकारी किसी को संतुष्ट नही कर पा रहे है तब उनके द्वारा सोसल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर पम्पलेट में अपील की है कि स्मार्ट मीटर स्थापना रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय संबंधी खबर झूठी, निराधार है, स्मार्ट मीटर से न घबराएँ और अधिकारी वर्ग विधुत कम्पनी के इस पम्पलेट का प्रचार कर कह रही है कि स्मार्ट मीटर से हर उपभोक्ता को इसका लाभ होगा और वे लाभ के फायदे गिना रहा है।
यह तय ही मानिए कि विपक्ष आज जनता के साथ खड़ा है, अगर वाप पहले होता तो स्मार्ट मीटर का विरोध के स्वर जब पैदा हो रहे थे तभी उन स्वरों को खामोश करने के साथ जनता कइ समक्ष आये ये सारे विवाद थम जाने थे किन्तु जैसे ही शहर शहर बिजली दफ्तरों में विरोध शुरू हुआ और छुटपुट खबरे आने लगी की उच्च न्यायालय ने इन मीटरों को लगाने पर रोक लगा दी बस फिर क्या था विधुत विभाग जाग गया और उनकी और से सफाई दी जाने लगी कि मध्यप्रदेश में कतिपय प्रिंटतथा सोशल मीडिया में यह साबर फैलाई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि स्मार्टमीटर लगवाना अनिवार्य नहीं है। यह खबर असत्य, भ्रामक और निराधार है। सुप्रीम कोर्ट अथवा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा इस प्रकार का कोई भी फैसला नहीं दिया गया है। साथ ही विभाग तर्क दे रहा है कि यह स्मार्ट मीटर ऊर्जा की खपत को ट्रैक करने और ऊर्जा की बचत करने में मदद करता है तथा बिजली की खपत को सटीक रूप से मापता है, जिससे बिल में कोई गलती नहीं होती। इन स्मार्ट मीटरों में लगे अति आधुनिक उपकरणों को गिनाया जा रहा है कि ये मीटर एप के जरिए मोबाइल पर रियल टाइम डेटा देखाकर ऊर्जा की खपत को नियंत्रित कर सकते हैं तथा ऊर्जा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी मिलती है, ताकि ऊर्जा की खपत को बेहतर बना सकते हैं। ऊर्जा की खपत को ऑनलाइन ट्रैक करने और नियंत्रित करने की सुविधा के साथ ऊर्जा की खपत को कम करने से पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव के फायदे बताये गए है।
मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि., भोपाल के खिलाफ इटारसी, नर्मदापुरम, माखननगर, सोहागपुर आदि जगह कांग्रेस स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध कर इसे सरकार की तानाशाही कह रहे है। कांग्रेस नेता पुष्पराजसिंह पूर्व जिलाध्यक्ष कांग्रेस, गज्जू तिवारी उर्फ़ गजेन्द्र तिवारी, सहित नर्मदापुरम जिला मुख्यालय पर समूची कांग्रेस के नेता इन स्मार्ट मीटरों को जनता की बिना सहमति के जबरन न लगाने की बात तब कर रहे है जब सभी जगह 80 प्रतिशत मीटर लगाये जा चुके है और शेष २० प्रतिशत लगाये जाना है जिन्हें ठेकेदार युद्धस्तर पर लगवा रहे है। गज्जू तिवारी ने कई ऐसे उपभोक्ता सामने खड़े किये जो बिल की गड़बड़ियों के कारण परेशान है और उनका बिला अचानक कई गुना बढ़ा हुआ है, यही नही तिवारी जी ने
ग्राउंड पर ट्रायल फेल हुए मीटर भी बताये जिसे जनता पर न थोपने की अपील उन्होंने की है और सामान्य उपभोक्ताओं को तकनीकी जानकारी नहीं है होने पर उनसे जबरदस्ती साइन लिए जा कर मीटर लगाने को जनता की जेब पर हमला करार दिया ।
कांग्रेस के तीन विधायक जयवर्धन सिंह, सुनील उइके तथा चौधरी सुजीत मेरसिंह द्वारा 31 जुलाई को मध्यप्रदेश विधानसभा सदन में स्मार्ट मीटर से सम्बन्धित विषयवस्तु को लेकर उर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से सवाल किये तब उनके द्वारा दिए गए उत्तर कि स्थापित किये जा रहे स्मार्ट मीटर, भारतीय मानको यथा आईएस 16444 एवं आईएस 15959 अनुसार है। आईएस 16444 एवं आईएस 15959 भारतीय मानक है, जो स्मार्ट ऊर्जा मीटरों की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिञ्चित करते हैं। आई.एस. 16444 एसी स्टैटिक स्मार्ट मीटर के लिए सामान्य आवश्यकताओं और परीक्षणों पर केंद्रित है, जबकि आईएस 15959 बिजली मीटर रीडिंग, टैरिफ और लोड नियंत्रण के लिए डेटा एक्सचेंज प्रोटोकॉल को कवर करता है। ये मानक स्मार्ट मीटरिंग प्रणालियों में डेटा सटीकता, छेड़छाड़ का पता लगाने और सुरक्षित संचार सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।प्रदेश में जगह जगह, शहर शहर हो रहे विरोध का यह आलम बिजली उपभोक्ताओं को हैरान-परेशान किये हुए है लेकिन विधानसभा में ऊर्जा मंत्री के द्वारा दिए गए जबाव जनता के विरोध में और स्मार्ट मीटर के पक्ष में है, जहा सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाये जाने के अनुबंध से 7 आठ साल पूर्व पूरी तैयारी कर अपना और विद्युत कम्पनी का पक्ष मजबूत कर लिया, समयावधि में जाहिर सूचनाओं, निविदाओं की शिकायत आपत्ति के अवसर विपक्ष खो चूका है और देश की जनता की लाचारी है उसे स्मार्ट मीटर के साथ ही जीना मरना है। सोचिये अगर स्मार्ट मीटर के लिए 900 रुपये का अनुदान केंद्र सरकार दे रही है और 900 रूपये बिजली कम्पनी दे रही है तो, क्या यह 18 सौ रूपये देशवासियों पर मेहरबानी के मायने क्या हो सकते है, एक स्मार्ट मीटर को लगवाने पर जीवन भर की सजा क्यों भुगते क्या सरकार जनता के प्रश्नों का उत्तर से सकेगी, या वह भी विपक्ष के तरह लाचार बनी रहेगी ?
