नई दिल्ली। साल 2025 में अब तक 2,790 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि ये सभी व्यक्ति अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे और वहां के प्रवासन मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे।
जायसवाल ने कहा कि प्रत्येक मामले की सख़्त जांच की गई और उनकी भारतीय राष्ट्रीयता और पहचान की पुष्टि के बाद ही उन्हें प्रत्यावर्तन किया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये सभी कार्रवाइयाँ भारत और अमेरिकी अधिकारियों के बीच स्थापित कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रियाओं के अनुरूप की गई हैं।
MEA प्रवक्ता ने कहा, “हमने प्रत्येक व्यक्ति की साख और राष्ट्रीयता की जांच की। उसके बाद ही उन्हें वापस भेजा गया। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई।”
यूके से भी हुए प्रत्यावर्तन
रणधीर जायसवाल ने यह भी बताया कि यूनाइटेड किंगडम (UK) से इस साल अब तक लगभग 100 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया। इन मामलों में भी भारतीय अधिकारियों ने उनकी राष्ट्रीयता और पहचान की पूरी जांच के बाद ही उन्हें प्रत्यावर्तन किया। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर अवैध प्रवासन और वीजा ओवरस्टे को रोकने में लगातार सक्रिय है।
अवैध प्रवेश में तेज गिरावट
अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (CBP) ने बताया कि अमेरिका में अवैध प्रवेश के मामलों में गिरावट आई है। अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच 34,146 भारतीय नागरिकों को बिना अनुमति के देश में प्रवेश करने की कोशिश के दौरान हिरासत में लिया गया। यह पिछले वित्तीय वर्ष के 90,415 मामलों की तुलना में 62 प्रतिशत की गिरावट है। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे लगातार गिरते हुए आंकड़ों में सुधार और प्रभावी नियंत्रण का संकेत बताया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा न केवल अमेरिका में बल्कि वैश्विक स्तर पर अवैध प्रवासन रोकने के प्रयासों की पुष्टि करता है। भारत और उसके अंतरराष्ट्रीय साझेदार अब अवैध प्रवेश के मामलों पर अधिक सख़्ती से नजर रख रहे हैं और यह प्रवास नियमों के पालन को सुनिश्चित करने में सहायक साबित हो रहा है।
जायसवाल ने कहा कि भारतीय सरकार लगातार यह सुनिश्चित कर रही है कि वह अवैध रूप से विदेश में रहने वाले नागरिकों की सही जानकारी रखे और उनकी सुरक्षित प्रत्यावर्तन प्रक्रिया को लागू करे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रत्यावर्तन केवल कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है और किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया गया।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अमेरिका और यूके जैसे देशों के साथ सहयोग और कूटनीतिक संवाद के माध्यम से अवैध प्रवासन पर नियंत्रण बढ़ाने में भारत सक्षम रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में भी ऐसी निगरानी और प्रत्यावर्तन प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे भारतीय नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा दोनों का हित सुरक्षित रहेगा।
